भारतीय टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार मिली.फाइनल में भारतीय बैटर बुरी तरह फ्लॉप रहे थे. टीम दोनों ही पारियों में टीम 300 के स्कोर तक नहीं पहुंच सकी. पिछले कुछ सालों में विदेश में मिडिल ऑर्डर का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है. अब इस पर पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सचिन तेंदुलकर से लेकर राहुल द्रविड़ तक अपनी कमियों को जानने के लिए मेरे पास आते थे, लेकिन पिछले 5-10 साल से कोई बैटर अपनी कमियों को लेकर मेरे पास नहीं आया. भारतीय टीम अब नई सीरीज के लिए तैयार है. भारत और वेस्टइंडीज के बीच 12 जुलाई से टेस्ट सीरीज शुरू हो रही है. पहला मैच डोमिनका में खेला जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जब खेलते थे, तब नियमित रूप से मेरे पास आते थे. वे अपनी समस्या को लेकर बात करते थे. साथ ही वे यह भी जानना चाहते थे कि अगर आपने कुछ कमियां देखीं हों, तो उसके बारे भी बताएं. लेकिन पिछले कुछ सालों में किसी भारतीय बैटर ने मुझसे अपनी समस्या को लेकर संपर्क नहीं किया है. गावस्कर ने वीरेंद्र सहवाग को लेकर भी एक वाकया बताया.
सहवाग को किया था फोन
सुनील गावस्कर ने बताया कि एक बार अचानक मैंने वीरेंद्र सहवाग को फोन किया. वह अधिक रन नहीं बना रहे थे. मैंने उनसे कहा कि वीरू आप अपना ऑफ स्टंप गार्ड देखा. तो उसने पूछा, क्यों, सनी भाई? गावस्कर ने सहवाग को समझाते हुए कहा कि आप अच्छे फुटवर्क के लिए नहीं जाने जाते. कभी-कभी जब आप आउट हो रहे होते हैं, तो आपको गेंद का अंदाजा नहीं रहता और आप उससे दूर रह जाते हैं. हो सकता है कि यदि आप ऑफ स्टंप का गार्ड लेते हैं, तो आपको तुरंत पता चल जाएगा कि गेंद ऑफ स्टंप के बाहर है. कोच यहीं पर अपनी अहम भूमिका निभा सकता है.
अश्विन के सवाल का भी दिया जवाब
भारतीय ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने पिछले दिनों कहा था कि पहले ही तरह टीम के साथी खिलाड़ी अब अच्छे दोस्त नहीं रहे. इस पर सुनील गावस्कर ने कहा कि यह दुखद बात है, क्योंकि खेल खत्म होने के बाद आपको एक साथ आना चाहिए. हो सकता है कि यहां आप खेल के बारे में बात ना करें, लेकिन संगीत, फिल्म या जो कुछ भी आपको पसंद है, उसके बार में चर्चा हो. उन्होंने कहा कि लेकिन अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो यह निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि सालों पहले हर खिलाड़ी को अलग से कमरा दिया जाने लगा. हो सकता है कि इस कारण भी ऐसा हुआ हो.