विश्व कप की सबसे बड़ी चर्चा में से एक रही ये खबर कि विराट कोहली ने अपना 50वां एकदिवसीय शतक लगाया। इस चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले कुछ बड़े ख़ास रिकॉर्ड देखिए- अपने 50वें एकदिवसीय शतक में कोहली ने जो 100वां रन बनाया वह उनके शतक वाली पारी के रन जोड़ें तो उनका 6013वां रन था। सचिन तेंदुलकर ने अपने 49 शतक में 6122 एकदिवसीय रन बनाए थे। कोहली का औसत शतक में 120(109) है, जबकि तेंदुलकर का ये औसत 125(125) था। 2023 ऐसा 8वां कैलेंडर साल है जिसमें कोहली ने कम से कम 1000 एकदिवसीय रन बनाए हैं और ये एक नया रिकॉर्ड है। तेंदुलकर ने ऐसा 7 कैलेंडर साल में किया था जबकि संगकारा, गांगुली और पोंटिंग ने 6 साल ऐसा किया। रोहित शर्मा के लिए रिकॉर्ड 5 साल है जबकि कोई और खिलाड़ी 4 साल से ज्यादा में ये प्रदर्शन नहीं कर पाया है।
अपने 50वें शतक तक कोहली एकदिवसीय में 234 बार आउट हुए (गेंदबाजों ने 223 बार+12 रन आउट) और इसका मतलब था कोहली ने एकदिवसीय में हर 4.9 बार आउट होने में एक शतक बनाया। इन दिनों, ऐसे रिकॉर्ड के लिए जानकार डेविड मलान (6 शतक और 26 बार आउट- प्रति शतक 4.33 बार आउट) और रयान टेन डोशेट (6 शतक और 29 बार आउट- प्रति शतक 4.83 बार आउट) का नाम लेते हैं पर नोट कीजिए- इनमें से किसी का भी रिकॉर्ड कोहली से बेहतर नहीं है। उनसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को ढूंढना है तो खोज पहुंचेगी युगांडा के नेहल बिबोडी पर और उन्होंने 2009 में आईसीसी ट्रॉफी में 2 शतक (डेनमार्क और बरमूडा के विरुद्ध) बनाए और 2 बार आउट हुए- क्या इन से तुलना करेंगे विराट कोहली की?
तो ये सभी रिकॉर्ड ये बता देते हैं कि किसी भी तरह के रिकॉर्ड देख लें कोहली के एकदिवसीय रिकॉर्ड को चुनौती देने वाला ढूंढना खुद एक चुनौती है। हैं तो वे भी एक इंसान इसलिए ऐसा नहीं कि कभी नाकामयाब या आउट आउट नहीं हुए पर उनके जैसे लंबे करियर में ऐसी स्थिरता आश्चर्यजनक है। इसीलिए आउट होने की गिनती के संदर्भ में एकदिवसीय में किसी भी अन्य खिलाड़ी की तुलना में ज्यादा रन और शतक बनाए हैं। किसी और खिलाड़ी के बारे में सोचना मुश्किल है जो कोहली की तुलना में इसी तरह से रन और शतक बनाता रहा।
तो क्या ये कह दें कि कोहली सर्वकालिक महान एकदिवसीय खिलाड़ी हैं? यह एक बहस की बात है। यहां बात अटकती है स्कोरिंग रेट पर। तब जानकार विव रिचर्ड्स, सचिन तेंदुलकर या एबी डिविलियर्स का नाम लेते हैं पर ये भी तो देखें कि ये तीन बल्लेबाज अपने समय में बहुत ही मजबूत टीम के लिए खेले और टीम की जिम्मेदारी अकेले इनके कंधों पर नहीं थी। दूसरी तरफ इसी भूमिका को निभाते हुए कोहली ने तो अपनी पारी के शुरू में भी कभी जोखिम वाले स्ट्रोक नहीं लगाए। इसलिए इस बात पर बहस नहीं होनी चाहिए कि कोहली इस फॉर्मेट के इतिहास में सबसे कुशल रन स्कोरर हैं। हर रन इक_ा करने में बेजोड़ जो उनकी बल्लेबाज़ी की बेहतरी का सबूत है।
इस विश्व कप के दौरान कोहली की चर्चा में एक नई बहस जुड़ी और उसके लिए वजह भी थी। कोहली और तेंदुलकर के रिकॉर्ड की तुलना। दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध मैच में जैसे ही उन्होंने शतक पूरा करने के लिए कैगिसो रबाडा को कवर पर एक रन के लिए खेला तो इसने उन्हें उन 49 शतक के बराबर ला दिया जो तेंदुलकर ने 451 एकदिवसीय पारियों में बनाए थे- कोहली ने इसके लिए 277 पारी लीं। 2009 में ईडन गार्डन्स में उनके पहले शतक से लेकर उनके नए शतक तक, सब जानते हैं कि कोहली की बल्लेबाजी का ब्लूप्रिंट क्या है?
आप किसी भी क्रिकेट प्रेमी से 134, 141, 143, 163*, 175, 186*, 200 का जिक्र कीजिए
उन्हें याद होगा कि तेंदुलकर ने ये शतक कब, कहां और किस टीम के विरुद्ध बनाए थे। इसके उलट, किसी भी क्रिकेट प्रेमी के लिए 107, 118, 128*, 100* 123, 139*, 154*, 157*, 138 का जिक्र करना और ये बताना कि कोहली ने ये शतक कब बनाए- बड़ा मुश्किल होगा। 133*, 183, 160*, 129* को छोड़कर और स्कोर तो बिल्कुल ही नहीं। यह कोहली की आलोचना नहीं है- इसे देखने का एक अलग तरीका है और वह ये कि उन्होंने एकदिवसीय में शतक बनाने की आर्ट को कितना मैकेनिकल बना दिया। यदि तेंदुलकर ने शतक को एक जश्न बना दिया, तो कोहली ने उन्हें एक आम घटना बना दिया।
‘मुझे उम्मीद है कि आप 49 से 50 पर जरूर जाएंगे और मेरा रिकॉर्ड तोड़ देंगे’
विराट कोहली के 35वें जन्मदिन पर 49वां वनडे शतक बनाने के बाद यही तो कहा था सचिन तेंदुलकर ने। तेंदुलकर के युग में भी कई बार दिल टूटे पर इस के उलट, ख़ास तौर पर होबार्ट में उस तूफ़ानी पारी के बाद, कोहली एक ऐसी मशीन बन गए, जिसने नई स्टाइल का प्रदर्शन करते हुए मैच ख़त्म किए। कोहली की बल्लेबाजी भले ही तेंदुलकर की तरह रोमांचक नहीं है, लेकिन यह सबसे प्रभावी रही है- जिसने किसी भी और की तुलना में ज्यादा मैच जीते हैं। उनके 50 शतक में से 43 भारतीय जीत में आए, जबकि तेंदुलकर के सिर्फ 33 शतक ही जीत लाए। एक और ख़ास गिनती ये कि कोहली के 21 शतक भारत से बाहर बने जो इस बात का सबूत है कि वह हर पिच पर रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं।
जब तेंदुलकर रिटायर हुए तो यह असंभव लग रहा था कि कोई भी एकदिवसीय में 49 शतक के रिकॉर्ड के करीब पहुंच पाएगा। कोहली ने न सिर्फ इसे बराबर किया- आसानी से पार भी कर लिया। तेंदुलकर द्वारा निर्धारित बेंचमार्क को पार कर लिया कोहली ने और एक ऐसे प्रारूप में जो हर गुजरते साल के साथ खत्म होता सा दिख रहा है।
अपने 15 साल लंबे एकदिवसीय करियर में
विराट कोहली ने अपनी कुल पारी में से लगभग 60त्न में 30 से ज्यादा गेंद का सामना किया! ऐसी सभी पारियों में उनका बल्लेबाजी औसत 98 से ज्यादा है। इसी विश्व कप में वह किसी भी एकदिवसीय टूर्नामेंट में 8 बार 50+ स्कोर बनाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए और वास्तव में पहली बार उन्हें किसी टूर्नामेंट में 10 एकदिवसीय मैच खेलने का मौका मिला।
एक समय था जब क्रिकेट में तुलना के लिए डॉन ब्रैडमैन सबसे बड़ा नाम थे
अब सचिन तेंदुलकर से तुलना फेवरिट टॉपिक है। जब एकदिवसीय क्रिकेट की बात हो तब तो उनसे बड़ा कोई है ही नहीं। 5 नवंबर को विराट कोहली ने अपने 35वें जन्मदिन पर 49वां वनडे 100 जड़कर तेंदुलकर की बराबरी की और 15 नवंबर को न्यूजीलैंड के विरुद्ध मैच में रिकॉर्ड तोड़ दिया।
जब सुनील गावस्कर ने डॉन ब्रैडमैन के टेस्ट में 100 वाले 29 स्कोर के रिकॉर्ड को तोड़ा था तो गावस्कर ने ‘रिकॉर्ड तोडऩे’ की कोई तारीफ़ लेने से इंकार कर दिया था और उनका कहना था- ब्रैडमैन का रिकॉर्ड तो उस दिन टूटेगा जब कोई 52 टेस्ट में 30 स्कोर बनाएगा 100 वाले। ऐसी कोई बात विराट कोहली नहीं कह सके क्योंकि वे वास्तव में तेज हैं तेंदुलकर से पर तेंदुलकर के ‘मास्टर’ कहलाने के हक को तो वे भी चुनौती नहीं देते और वे हमेशा उनके आयडल/हीरो रहेंगे।
तेंदुलकर ने अपना 49वां 100 एशिया कप 2012 में बांग्लादेश के विरुद्ध बनाया था और ये उनके लिए बड़ा ख़ास था क्योंकि इसी से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 का 100 पूरा किया था। तेंदुलकर ने इन 49 शतक के लिए 452 पारी खेलीं- विराट ने 277 पारी। 1998 मास्टर ब्लास्टर के लिए सबसे ख़ास था- 9 वनडे 100 लगाए जबकि कोहली के लिए 2017 और 2018 में 6-6 आए और 2023 भी 100 के मामले में बड़ा ‘प्रॉडक्टिव’ साबित हो रहा है।
विश्व कप की बात करें तो तेंदुलकर 6 विश्व कप खेले
इसमें दो बार मेगा इवेंट के टॉप स्कोरर रहे। उनका 6 विश्व कप 100 का रिकॉर्ड अब टूट चुका है- इस पर अब रोहित शर्मा (7) का नाम है। विराट कोहली के अभी विश्व कप में 5 शतक हैं- 2011 में अपने पहले ही विश्व कप मैच में (विरुद्ध बांग्लादेश) शुरुआत की, उसके बाद 2015 में पाकिस्तान के विरुद्ध और इस विश्व कप में 3 और 100 आए। तेंदुलकर ने अपने दौर की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अगर सबसे ज्यादा (9) 100 बनाए तो कोहली ने श्रीलंका के विरुद्ध सबसे ज्यादा (10) 100 बनाए।
सचिन तेंदुलकर ने विराट कोहली को 100 का रिकॉर्ड बराबर करने की बधाई देते हुए इस बात का जिक्र किया उन्होंने खुद लगभग एक साल लगा दिया था 48 से 49 शतक तक पहुंचने में (48वां एकदिवसीय शतक 2011 विश्व कप के दौरान) पर ये उम्मीद जाहिर की कि विराट 49 से 50 तक पहुंचने में इतनी देर नहीं लगाएंगे और ऐसा ही हुआ। कहते तो हैं कि दो अलग-अलग दौर के क्रिकेटरों के बीच आपसी चर्चा सही नहीं पर इन दोनों के साथ एक मजेदार बात ये है कि दोनों साथ-साथ भी खेले। और तो और 2011 विश्व कप के पदक विजेता की लिस्ट में दोनों का नाम है। तेंदुलकर अपना आखिऱी एकदिवसीय 2012 में खेले और विराट अभी खेल रहे हैं।
ये चर्चा तो चलती रहेगी। भारत के स्टेडियम में शोर ‘सचिइइन…सचिइइन…’ से ‘कोहली! कोहली!’ में बदल चुका है- और क्रिकेट में ये एक नया दौर है। क्रिकेट के इन दो दिग्गजों की स्टोरी में ही भारत में क्रिकेट और इनके योगदान की स्टोरी है। – चरनपाल सिंह सोबती