इंदौर. कर्नल सी. के. नायडू भारत के प्रथम टेस्ट् कप्तान के साथ ही देश के पहले सुपरस्टार क्रिकेटर थे। उन्होंने अपने खेल की शुरुआत बंबई की क्वाड्रंगुलर और पेंटागुलर टूर्नामेंट्स से किया था। 1916 में हिंदू टीम के तरफ़ से एमसीसी के ख़िलाफ़ खेली गई उनकी 153 रनों की पारी ने भारत को टेस्ट का दर्जा दिलाने में काफ़ी अहम हिस्सा निभाया। 1932 में जब भारत ने अपना पहला टेस्ट खेला तो वह उसके कप्तान बने। टेस्ट क्रिकेट के उपरांत उनका
होलकर टीम और इंदौर से ख़ास नाता रहा। उन्होंने सिर्फ़ होलकर टीम को सींचा ही नहीं बल्कि उनकी कप्तानी में टीम 4 बार रंजी ट्रॉफी में अव्वल रही। इसके बाद वो भारतीय टीम के मुख्य सिलेक्टर भी रहे। आदित्य भूषण द्वारा लिखी गई जीवनी – ‘ए कर्नल डेस्टिन्ड टू लीड’ नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का काम करेगी और लोगों को इतिहास के उन पन्नों में ले चलती है जब भारत क्रिकेट के खेल में अपनी पहली सीढ़ियाँ ले रहा था।
ये इस पुस्तक की दूसरी एडिशन है और आदित्य का मानना है कि अगर उनकी पुस्तक से कुछ लोग भी कर्नल सॉब के अदभुत कला से परिचय प्राप्त कर लें तो उनकी कोशिश सफल रहेगी। आज इंदौर के होलकर स्टेडियम में भारत-अफ़ग़ानिस्तान के टी20 मैच के एक दिन पूर्व पुस्तक का भारतीय क्रिकेटर शिवम दुबे के हाथ से लोकार्पण हुआ।