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Friday, January 31, 2025

ट्रोल्स को पांड्या ने दिया मुंहतोड़ जवाब, उन लोगों ने बोला जो एक प्रतिशत भी मुझे नहीं जानते

नई दिल्ली: आईपीएल शुरू होने से पहले मुंबई इंडियंस ने रोहित शर्मा की जगह हार्दिक पांड्या को कप्तान घोषित कर दिया। इसके बाद इन दोनों खिलाड़ियों के बीच तो तनाव दिखा ही, इनके प्रशंसक भी आपस में भिड़ गए। हार्दिक को बुरी तरह ट्रोल किया गया। आईपीएल मैचों के दौरान मैदान पर भी उन पर फब्तियां कसी गईं, लेकिन उन्होंने रोहित की कप्तानी में भारतीय टीम की टी-20 विश्व कप विजय में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने फाइनल में तीन विकेट से साथ टूर्नामेंट में 11 विकेट लिए। उन्होंने इस टूर्नामेंट में 144 रन बनाए। मैच के बाद अभिषेक त्रिपाठी ने हार्दिक पांड्या से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश

मैं बहुत विशेष महसूस कर रहा हूं। मैंने पहले भी कई बार ये कहा था कि ये ट्रॉफी जीतना मेरा सपना था। जहां से मैं आता हूं, जो लोग मुझे जानते हैं, उन्हें पता है कि ये मेरे लिए कितना महत्वपूर्ण था। फाइनली ये हो गया।

सर मैं गरिमा में रहने को मानता हूं। बड़ी सारी बातें कहीं गईं, बड़ी सारी बातें बोली गईं, किसी को पता नहीं है कि हार्दिक पांड्या है कौन। उन लोगों ने बोला जो एक प्रतिशत भी मुझे नहीं जानते, लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैंने हमेशा माना है कि जिंदगी में कभी किसी को मुंह से जवाब नहीं देते हैं। हालात और चीजें जवाब दे सकती है। जब वक्त मुश्किल था तो मैंने खुद से यही बात बोली कि ज्यादा देर तक ये नहीं चलेगा। मैं यह बहुत मानता हूं कि आप हारे या जीतें आपको गरिमापूर्ण रहना चाहिए। हमारे देश में प्रशंसकों और सभी को यह सीखना होगा (शालीनता से रहना)। हमें बेहतर आचरण रखना चाहिए। मुझे यकीन है कि पहले जो अनाप शनाप बोल रहे थे, अब वे ही लोग खुश होंगे।

ईमानदारी से कहूं तो मुझे मजा आ रहा था। बहुत कम लोगों को ऐसे जिंदगी बदलने वाले मौके मिलते हैं। यह दांव उल्टा भी पड़ सकता था, लेकिन मैं आधा भरा गिलास देखता हूं, कभी आधा खाली गिलास नहीं समझता हूं। मैं दबाव नहीं ले रहा था और मुझे अपने कौशल पर भरोसा था। बाहर से सब लोग देख रहे थे, लेकिन यह पल हमारी किस्मत में लिखा था। मैंने पहले भी बोला है कि भाग्य उनका साथ देता है जो मेहनत करते हैं। कोशिश की थी मेहनत करते रहो, सिर नीचे रखो और मेहनत करते रहा। अब ये हंसी काफी लंबे समय तक रहेगी।

अब हम जीत गए और अगर मैंने ऐसे में मैं शून्य पर भी आउट हुआ होता तो खुश होता। मैं यही मानता हूं कि जब तक टीम जीत रही है, तब तक व्यक्तिगत प्रदर्शन मायने नहीं रखता है। अगर आप अच्छा करे और आपकी टीम अच्छा कर पाए तो वह बेहद विशेष भावना रहती है। मुझे जब-जब मौका मिला, मैंने कुछ करने की कोशिश की। मैंने क्रिकेट हमेशा यही खेला है, जब भी मौका मिले सहयोग करो। अगर आपको एक ओवर भी डालने को मिले तो अपना सर्वश्रेष्ठ दो। उसमें मूमेंट बनते हैं, फाइनल में भी ऐसी कोशिश थी कि परिस्थिति के हिसाब से बढि़या ओवर डालें और वहां से मैच बदल गया। जहां हम थे वहां से परिस्थितियां हमारे पक्ष में बदल गईं।

2026 में काफी समय है। मैं रोहित और विराट के लिए बहुत-बहुत खुश हूं। भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गज जो इस जीत के हकदार थे। उनके साथ इस प्रारूप में खेलने में मजा आया। उनकी कमी खलेगी, लेकिन इससे बेहतर विदाई नहीं हो सकती थी। हमने एक भाई की तरह, एक दोस्त की तरह जो समय बिताया है उनके लिए इससे बढि़या फेयरवेल नहीं दिया जा सकता था। उनके बारे में इससे ज्यादा नहीं कहा जा सकता। सिर्फ इस नहीं बल्कि हर प्रारूप में वे दिग्गज हैं।

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