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Sunday, April 20, 2025

Happy Birthday Sunil Gavaskar: क्रिकेट की दुनिया में ‘लिटिल मास्टर’ के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर आज 75 साल के हो गए हैं

नई दिल्ली: क्रिकेट की दुनिया में ‘लिटिल मास्टर’ के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर के लिए आज (10 जुलाई) का दिन बेहद खास है. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और लीजेंड गावस्कर का आज जन्म दिन है और वह 75 साल के हो गए हैं. उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाए हैं. 5 फुट 5 इंच के गावस्कर ने क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट में कई यादगार पारियां खेलीं, जो आज भी फैन्स के जेहन में हैं. गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन और 34 शतक के आंकड़े को छूने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं. गावस्कर के जीवन के कई ऐसे किस्से हैं, जिन्हें सुनकर फैन्स भी हैरान हो जाते हैं. मगर उनके जीवन की एक ऐसी सच्चाई है, जो किसी को भी हैरत में डाल सकती है. दरअसल, गावस्कर के साथ जन्म के समय अस्पताल में एक ऐसी घटना हुई थी, जिससे कारण उनका पूरा जीवन ही बदल जाता. यदि नर्स की वो गलती ठीक नहीं होती तो आज क्रिकेट के दिग्गजों में गावस्कर का नाम ही नहीं होता.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल गावस्कर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘Sunny Days’ में बताया है कि ‘मैं कभी क्रिकेटर नहीं बना होता और न ही यह किताब लिखी गई होती अगर मेरी जिंदगी में तेज नजरों वाले नारायण मासुरकर नहीं होते.’ गावस्कर ने बताया, ‘जब मेरा जन्म हुआ तब वो (जिन्हें बाद में मैं नन-काका कहकर बुलाता था) अस्पताल मुझे देखने आए थे और उन्होंने मेरे कान पर एक बर्थमार्क देखा था. अगले दिन वो फिर अस्पताल आए और उन्होंने जिस बच्चे को गोद में उठाया, उस बच्चे के कान पर वो निशान नहीं मिला. इसके बाद पूरे अस्पताल में बच्चों को चेक किया गया. जिसके बाद मैं उन्हें मछुआरे की पत्नी के पास सोता हुए मिला.’

गावस्कर ने बताया, ‘अस्पताल की नर्स ने गलती से मुझे वहां सुला दिया था. शायद बच्चों को नहलाते समय वह बदल गए थे. अगर उस दिन चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता, तो हो सकता था कि मैं आज मछुआरा होता.’ आपको बता दें कि सुनील गावस्कर के क्रिकेटिंग करियर को आकार देने में उनके पिता मनोहर गावस्कर के साथ ही मां मीनल का अहम योगदान रहा. सुनील गावस्कर बचपन में टेनिस गेंदों से खेलते थे और उनकी मां उन्हें गेंदबाजी किया करती थीं. सुनील गावस्कर ने साल 1971 में वेस्टइंडीज दौरे पर अपना टेस्ट डेब्यू किया था. वेस्टइंडीज के खिलाफ उस डेब्यू सीरीज में गावस्कर ने 4 टेस्ट मैचों में रिकॉर्ड 774 रन (दोहरा शतक सहित 4 शतक और तीन अर्धशतक) बनाए. इस दौरान गावस्कर का औसत 154.80 का रहा था. यह आज भी किसी डेब्यू सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड है.

किसी डेब्यू टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन:
सुनील गावस्कर (भारत)- 4 मैच, 774 रन, 154.80 एवरेज, चार शतक
जॉर्ज हैडली (वेस्टइंडीज)- 4 मैच, 703 रन, 87.87 एवरेज, चार शतक
कोनराड हंटे (वेस्टइंडीज)- 5 मैच, 622 रन, 77.75 एवरेज, तीन शतक
हर्बर्ट कॉलिन्स (ऑस्ट्रेलिया)- 5 मैच, 557 रन, 61.88 एवरेज, दो शतक
बैरी रिचर्ड्स (साउथ अफ्रीका)- 4 मैच, 508 रन, 72.57 एवरेज, दो शतक

1971 के वेस्टइंडीज दौरे में गावस्कर का प्रदर्शन:
पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट- पहली पारी 65 रन, दूसरी पारी 67* रन
जॉर्जटाउन टेस्ट- पहली पारी 116 रन, दूसरी पारी 64* रन
ब्रिजटाउन टेस्ट- पहली पारी 1 रन, दूसरी पारी 117 रन
पोर्टऑफ स्पेन टेस्ट- पहली पारी 124 रन, दूसरी पारी 220 रन

सुनील गावस्कर ने तीन बार टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने का कमाल दिखाया था. यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह इकलौते भारतीय हैं. 1971 में डेब्यू सीरीज में उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 124 और 220 रनों की पारी खेली थी. इसके बाद उन्होंने 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट में 111 और 137 रनों की पारी खेली, जिसे फैन्स आज भी याद करते हैं. उसी साल वह वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता टेस्ट की भी दोनों पारियों में शतक लगाने में कामयाब रहे थे. कोलकाता टेस्ट में गावस्कर ने 107 और 182 रनों की पारी खेली थी.

सुनील गावस्कर ने 16 साल (1971-1987) के अपने टेस्ट करियर में कुल 125 टेस्ट मैच खेलकर 10,122 रन बनाए, जिसमें 34 शतक और 45 अर्धशतक शामिल रही. गावस्कर की टेस्ट में बल्लेबाजी औसत 51.12 की रही. उनके 34 शतकों का रिकॉर्ड 2005 में सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा था. गावस्कर ने 108 वनडे इंटरनेशनल में में 35.13 की औसत से 3092 रन बनाए. वनडे में उनके बल्ले एक ही शतक निकला, वो भी 107वें मैच में. गावस्कर 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे.सुनील गावस्कर ने 47 टेस्ट और 37 वनडे इंटरनेशनल में भारत की कप्तानी की. टेस्ट क्रिकेट में गावस्कर की कप्तानी में भारत ने 9 मुकाबले जीते और 8 में हार मिली, जबकि 30 टेस्ट मैच ड्रॉ रहे. वनडे इंटरनेशनल में गावस्कर की कप्तानी में भारत ने 14 मुकाबले जीते, वहीं 21 में टीम को हार का सामना करना पड़ा और दो मैच बेनतीजा रहे.

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