नई दिल्ली: जिंबाब्वे के खिलाफ पांच टी-20 मैचों की सीरीज के आखिरी मुकाबले में रविवार को लेफ्टी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (Yashavi Jaiswal) एकअलग ही मूड में थे. पहले ही मैच में तेवरों से साफ लगा कि वह जिंबाब्वे के गेंदबाजों के कत्ल-ए-आम करने के मूड में हैं, लेकिन इसी ओवर में उनका बोरिया-बिस्तर भी बंध गया. मेजबान कप्तान सिकंदर रजा की गेंद पर बोल्ड होने से पहले जायसावल ने पांच गेंदों पर दो छक्कों से सिर्फ 12 ही बनाए, लेकिन आउट होने से पहले यशस्वी ने वह कारनामा कर डाला, जो टी20 फॉर्मेट के इतिहास में उनसे पहले कोई भी नहीं कर सका.
जिंबाब्वे के लिए पारी का पहली ही ओवर लेकर मेजबान कप्तान सिकंदर रजा आए. यह एक खराब फुलटॉस गेंद थी और इसका स्वागत जायसवाल ने डीप-स्कवॉयर लेग के ऊपर से एक लंबे छक्के के साथ किया. कोढ़ में खाज जैसी बात यह रही कि या नो-बॉल हो गई और जायसवाल को फ्री-हिट मिल गया. व्हाइट-बॉल क्रिकेट में फ्री-हिट जैसा गिफ्ट मिल जाए, तो इसे भला कौन दोनों हाथों से नहीं भुनाएगा. जायसवाल भी पीछे नहीं रहे.
लेफ्टी बल्लेबाज ने फिर से प्रचंड प्रहार लगाते हुए एक और छक्का जड़ दिया. इसी के साथ ही जायसवाल ने टी20 में वह कारनामा कर दिखाया, जो पहले कभी नहीं हुआ था. यह कहें कि नियति ने मानो इसे होना लिखा था. रजा की पहली गेंद नो-बॉल पर छक्के सहित सात रन और फिर छक्का. मतलब एक गेंद और कुल मिलाकर 13 रन. टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहले कभी पारी शुरू होने की पहली गेंद पर 13 का स्कोर कभी नहीं बना था.