नई दिल्ली: रोहन बोपन्ना को अपने करियर की बड़ी सफलताएं 35 की उम्र के बाद मिली हैं। बोपन्ना अब 44 वर्ष के हो चुके हैं। बावजूद इसके वह सफलताओं के नए आयाम गढ़ रहे हैं। वह इस वर्ष ही 43 वर्ष की आयु में मैथ्यु एबडेन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीतकर ग्रैंड स्लैम जीतने वाले सबसे उम्रदराज टेनिस खिलाड़ी बने हैं। अब बोपन्ना की निगाहें पेरिस ओलंपिक पर हैं। वह यहां नियमित साथी मैथ्यु एबडेन के साथ नहीं बल्कि एन श्रीराम बालाजी के साथ जोड़ी बनाकर उतरने जा रहे हैं, लेकिन पेरिस में उनकी दावेदारी को खारिज नहीं किया जा सकता है। बोपन्ना ने पेरिस में बालाजी के साथ पुरुष युगल में पदक जीता तो वह इतिहास रच देंगे। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले सबसे उम्रदराज भारतीय खिलाड़ी बन सकते हैं।
विश्व नंबर 62 बालाजी बोपन्ना के नियमित जोड़ीदार नहीं हैं। ओलंपिक में तालमेल बिठाने के लिए इस वक्त दोनों साथ खेल रहे हैं। बोपन्ना ने सोचने-समझने के बाद बालाजी को ओलंपिक के लिए अपना जोड़ीदार चुना। दिसंबर, 2023 में बोपन्ना ने कुछ भारतीय खिलाडिय़ों को अपने खर्च पर साथ में होटल में रुकवाया था। इस प्रवास के दौरान बोपन्ना ने उनके बारे में सब कुछ जाना। इनमें बालाजी भी शामिल थे। माना जा रहा था कि बोपन्ना के जोड़ीदार को लेकर विवाद होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्र बताते हैं कि इस प्रवास के कुछ दिन बाद ही बोपन्ना ने अखिल भारतीय टेनिस महासंघ (आईटा) को अवगत करा दिया था कि वह बालाजी को जोड़ीदार बनाने जा रहे हैं। हालांकि बालाजी के नाम की घोषणा काफी बाद में हुई। टूर्नामेंट क्ले कोर्ट पर हो रहा है। बोपन्ना का मानना है कि बालाजी क्ले कोर्ट पर अच्छा खेलते हैं।
बोपन्ना का यह तीसरा ओलंपिक है। 2012 और 2016 में वह ओलंपिक से पहले जोड़ी को लेकर काफी विवादों में रहे। उन्होंने लंदन में लिएंडर पेस की जगह महेश भूपति के साथ जोड़ी बनाई, जबकि रियो में सानिया ने पेस के स्थान पर बोपन्ना को मिश्रित युगल में वरीयता दी। दोनों ही मौकों पर वह पदक के दावेदार बने, लेकिन वह पास पहुंच कर भी पदक नहीं जीत पाए। लंदन ओलंपिक में वह भूपति के साथ दूसरे दौर में हारे, जबकि रियो ओलंपिक में वह सानिया के साथ सेमीफाइनल में पहुंचे, जहां उन्हें हार मिली और वह कांस्य पदक का मुकाबला भी हार कर चौथे स्थान पर रहे।
बोपन्ना-बालाजी के अलावा एकल में सुमित नागल भारतीय चुनौती पेश करेंगे। नागल का क्ले कोर्ट पर हालिया प्रदर्शन शानदार रहा है। वह दो चैलेंजर टूर्नामेंट इस सतह पर जीत चुके हैं। उनकी विश्व रैंकिंग भी सुधर कर 68 पर जा पहुंची है। वह उलटफेर करने में तो सक्षम हैं, लेकिन उनसे पदक की उम्मीद नहीं की जा रही है। लिएंडर पेस और महेश भूपति के बीच पनपे मतभेद के कारण विवाद नहीं गहराए होते तो भारत के ओलंपिक में एक से अधिक पदक होते। लिएंडर ने एकल में 1996 में कांस्य पदक जीता, लेकिन वह भूपति के साथ युगल में 2004 में चौथे स्थान पर रहे। 2008 में उन्हें फेडरर-वावरिंका की स्वर्ण पदक विजेता जोड़ी ने हराया। 2012 में भी दोनों पदक के दावेदार थे, लेकिन दोनों ने जोड़ी नहीं बनाई।