नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम ने मंगलवार, 17 सितंबर को एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में चीन को मात दी। पूरे टूर्नामेंट में दबदबा दिखाने वाली टीम के फाइनल में पसीने छूट रहे थे। टीम चीन के डिफेंड को तोड़ नहीं पा रही थी। आखिरकार यह काम किया भारत के जुगराज सिंह ने। 51वें मिनट में जुगराज ने गोल करके टीम इंडिया को 1-0 की बढ़त दिलाई और मैच खत्म होने तक यही स्कोर लाइन रही। चीनी दीवार को तोड़ने वाले जुगराज सिंह के लिए यह निजी तौर पर भी काफी अहम पल था क्योंकि उन्होंने अपना बचपन अटारी वाघा बॉर्डर पर तिरंगे बेचकर ही काटा था।
जुगराज सिंह के पिता ने 30 साल तक की पल्लेदारी
जुगराज के पिता सुखजीत सिंह ने बहुत मेहनत करके बेटे को पाला है। वह पल्लेदारी (बोरों में भरा सामान ढोना) करते थे। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 1980 के समय में उन्होंने यह काम शुरू किया। तब वह पाकिस्तान से आने वाले सीमेंट के कट्टे ढोया करत थे जिनका वजह 50 किलो हुआ करता था। वहीं 2019 में पुलवामा अटैक के बाद जब यह काम बंद हुआ तो वह अफगानिस्तान से आने वाले ड्राय फ्रूट (मेवे) के कट्टे ढोने लगे। जुगराज के दादा दारा सिंह भी यही काम करते थे।
बॉर्डर पर तिरंगा बेचते थे जुगराज
जुगराज भी छोटी सी उम्र में ही अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालना चाहते थे। वह शाम के समय अटारी बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी में पानी की बोतल और तिरंगा बेचा करते थे। पूरी शाम यह काम करने के बाद वह दो किमी पैदल चलकर घर आते और सारा पैसा पिता को दे देते।
काम के साथ-साथ खेला हॉकी
जुगराज काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करते थे। स्कूल में भी कोच नवजीत सिंह की नजर उनपर पड़ी और उन्होंने जुगराज के हाथों में हॉकी पकड़ाई। नवजीत के मुताबिक जुगराज अपने पिता की पल्लेदारी में भी मदद करते थे इसलिए उनका शरीर अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा मजबूत था। जुगराज को हॉकी का खेल रास आ गया। वह सुबह और दोपहर में हॉकी खेलते और फिर शाम में काम करते थे। देर रात तक काम करने के बाद भी जुगराज सुबह सबसे पहले ट्रेनिंग के लिए पहुंचते थे।
बच्चों के लिए किट लेकर जाते हैं जुगराज
2009 में जुगराज बाबा उत्तम सिंह नेशनल हॉकी अकेडमी में शामिल हुए। उन्होंने नेहरू कप खेलना शुरू किया। उनकी टीम जब नेहरू कप के फाइनल में पहुंची तो जुगराज को पहली बार स्पॉन्सर के द्वारा दी गई निजी किट मिली। नवजीत ने बताया कि जुगराज उस किट के साथ सोए थे। अब जुगराज टीम इंडिया के अहम खिलाड़ी है। वह नेवी में काम करते हैं और जब भी गांव लौटते हैं तो बच्चों के लिए किट लेकर जाते हैं।