नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। 1-2 से पिछड़ने के बाद टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल (WTC Final) की रेस से लगभग बाहर है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंवाने का भी खतरा मंडरा रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस ने 2025 के पहले दिन सिडनी टेस्ट से पहले भारतीय ड्रेसिंग रूम में कलह की जानकारी दी। अब एक्सप्रेस पॉडकास्ट में एक हैरान कर देने वाली बात सामने आई है।
इसे सुनकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या गौतम गंभीर में टीम को संभालने की काबिलियत है? कहीं गंभीर की वजह से ही ड्रेसिंग रूम तो नहीं बंटा हुआ है? भारतीय ड्रेसिंग रूम की जानकारी सामने आने को लेकर पॉडकास्ट में बताया गया है कि गौतम गंभीर अबतक भारतीय टीम के खिलाड़ियों से घुल नहीं पाए हैं। भारतीय टीम 2 महीने के दौरे पर ऑस्ट्रेलिया गई है। वह दौरे के आखिरी फेज में हैं, लेकिन अबतक एक बार भी टीम डिनर तक नहीं हुआ है।
भारतीय ड्रेसिंग रूम की जानकारी सामने आने को लेकर एक्सप्रेस के पॉडकास्ट में मिहिर बांसवाड़ा से बातचीत में देवेंद्र पांडे बताते है, ” रोहित के साथ प्रॉब्लम ये हो गई है कि खुद का परफॉर्मेंस नहीं हो रहा है। रोहित की बॉडी जैसी मूव होनी चाहिए नहीं हो रही। वो एक सबसे बड़ा प्रॉब्लम हो गया है। रोहित ही वहां सारा कम्युनिकेटर है। जितना भी कम्युनिकेशन करना, प्लेयर के साथ करना वो रोहित ही करता है। गौती नहीं करता। सपोर्ट स्टाफ इतना नहीं कर रहा, जितना करना चाहिए।”
देवेंद्र पांडे आगे बताते हैं, ” दिक्कत (Issue) तो है वहां पर। आप बात करें बाकी सब सपोर्ट स्टाफ और प्लेयरों से तो एक डिनर भी अभी तक नहीं हुई। आश्चर्य (Strange) है। दो महीने लंबा ट्रिप हुआ है और अबतक एक टीम डिनर नहीं होना थोड़ा सा आश्चर्य की बात है। ट्रेंड रहा है कि अगर आप इतने बड़े दौरे पर हैं तो एक बार या दो बार आप टीम डिनर करते हैं। ये टीम बॉन्डिंग के लिए होता है कि एक दूसरे को समझें। टीम में नए बच्चे ज्यादा हैं तो नए बच्चे खुले।”
गौतम गंभीर को लेकर भारतीय टीम क्या सोचती है? इसे लेकर पॉडकास्ट में देवेंद्र पांडे बताते हैं, ” गौती कभी कोच नहीं थे। वह मेंटर थे। केकेआर में भी वह मेंटरशिप रोल में थे। कोचिंग के लिए कोई और था। छह महीने ही उनको कोचिंग संभालते हुआ है। पहली हर्डल उनको दिखा है। न्यूजीलैंड में हम हारे। उसके बाद ये आ गया। उनको कम्युनिकेशन बढ़ाना होगा। वो ज्यादा कम्युनिकेट नहीं करते हैं, जितना राहुल द्रविड़ करते थे या उनके पुराने कोच करते थे। जैसा मैने कहा कि बेसिक-बेसिक चीजें नहीं हो रहीं। टीम मिटिंग नहीं हो रही। टीम डिनर नहीं हो रहा।
देवेंद्र पांडे ने बताया, “ये सब छोटी-छोटी चीजें बड़े दौरों पर मायने रखती हैं। नए प्लेयरों से बात करना भी जरूरी है, खासकर जो न खेल रहे हों। कम्युनिकेशन जितना बढ़ाएंगे उतना उनके लिए अच्छा होगा। प्लेयर्स अभी भा भाप रहे हैं कि उनका थिंकिंग क्या है? जितना आप एक्सप्रेसिव रहोगे उतना अच्छा रहेगा। गंभीर का ऐसा नेचर है कि थोड़ा सा लोग डरते हैं उनसे बात करने में। थोड़ा एग्रेसिव नेचर है। इतने रील्स और मीम्स इतना घुम गए हैं कि लोग ऐसे ही बैकफुट पर रहते हैं।”