नई दिल्ली: चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन पाकिस्तान की मेजबानी में हाईब्रिड मॉडल में 19 फरवरी से होना है। ब्रिटेन के 160 से ज्यादा राजनेताओं एक पत्र पर हस्ताक्षर किया है। इसके अनुसार इंग्लैंड को अगले महीने अफगानिस्तान के विरुद्ध चैंपियंस ट्रॉफी मैच खेलने से मना कर देना चाहिए। राजनेता चाहते हैं कि इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) तालिबान शासन द्वारा महिलाओं के अधिकारों के हनन के खिलाफ रुख अपनाए। वह 26 फरवरी को लाहौर में अफगानिस्तान के विरुद्ध एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच का बहिष्कार करे।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से खेलों में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावी रूप से गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। यह कदम अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के नियमों का उल्लंघन करने के लिए मजबूर करता है। अफगानिस्तान की मेंस टीम को अभी भी आईसीसी से प्रतिस्पर्धा की अनुमति है। ऐसे में ब्रिटेन संसद से एक कड़े शब्दों वाला पत्र सामने आया है। इसमें ईसीबी से अपनी नैतिक आपत्ति दर्ज कराने का अनुरोध किया गया है।
क्या कहा गया
लेबर सांसद टोनिया एंटोनियाजी द्वारा लिखे गए पत्र को निगेल फराज और जेरेमी कॉर्बिन सहित हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के एक क्रॉस-पार्टी ग्रुप की ओर हस्ताक्षर किए गए हैं। ईसीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिचर्ड गोल्ड को संबोधित पत्र में कहा गया है, “हम इंग्लैंड की मेंस टीम के खिलाड़ियों और अधिकारियों से दृढ़तापूर्वक आग्रह करते हैं कि वे तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ हो रहे भयावह व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाए।”
भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना चाहिए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पत्र में कहा गया है, “हम ईसीबी से अफगानिस्तान के खिलाफ आगामी मैच का बहिष्कार करने पर विचार करने का भी आग्रह करते हैं ताकि यह स्पष्ट संकेत दिया जा सके कि इस तरह के घृणित दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमें लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हम ईसीबी से आग्रह करते हैं कि वह अफगान महिलाओं और लड़कियों को एकजुटता और उम्मीद का एक दृढ़ संदेश दे कि उनकी पीड़ा को अनदेखा नहीं किया गया है।”
सभी सदस्य देशों से एक समान दृष्टिकोण का समर्थन
गोल्ड ने एक त्वरित प्रतिक्रिया जारी की। इसमें ईसीबी के सिद्धांतों की पुष्टि की गई। कहा गया कि यह अकेले काम करने के बजाय सभी सदस्य देशों से एक समान दृष्टिकोण का समर्थन करता है। रिचर्ड गोल्ड ने कहा, “ईसीबी तालिबान शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ किए जा रहे व्यवहार की कड़ी निंदा करता है। आईसीसी के संविधान में कहा गया है कि सभी सदस्य देश महिला क्रिकेट के विकास और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रतिबद्धता के अनुरूप, ईसीसी ने अफगानिस्तान के खिलाफ कोई भी द्विपक्षीय क्रिकेट मैच आयोजित नहीं करने की अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा है।”
महत्व को जानना महत्वपूर्ण
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गोल्ड ने कहा, “आईसीसी का समग्र दृष्टिकोण व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा एकतरफा कार्रवाई की तुलना में काफी अधिक प्रभावशाली होगा। हम उन लोगों द्वारा उठाई गई चिंताओं को समझते हैं, जो मानते हैं कि पुरुषों के क्रिकेट का बहिष्कार अनजाने में तालिबान के स्वतंत्रता को दबाने और अफगान समाज को अलग-थलग करने के प्रयासों का समर्थन कर सकता है। देश से विस्थापित लोगों सहित कई अफगानों के लिए आशा और सकारात्मकता के स्रोत के रूप में क्रिकेट के महत्व को जानना महत्वपूर्ण है।” 2003 के क्रिकेट विश्व कप में इंग्लैंड ने रॉबर्ट मुगाबे के शासन के विरोध में जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच का बहिष्कार किया था। इंग्लैंड ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए स्क्वाड का ऐलान कर दिया है।