नई दिल्ली: पूर्व बल्लेबाज मनोज तिवारी ने भारतीय हेड कोच गौतम गंभीर को पाखंडी होने का आरोप लगाया था। इसके बाद कोलकाता नाइट राइडर्स के हर्षित राणा और नितीश राणा ने गौतम गंभीर के समर्थन में बयान दिया। हालांकि मनोज तिवारी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने अब साफ तौर पर यह कहा है कि गौतम गंभीर टीम इंडिया के कोच बनने के लायक नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गौतम गंभीर ने केकेआर की 2024 की जीत का सारा श्रेय ले लिया।
मनोज तिवारी के मुताबिक भारतीय टीम को हाल ही में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हार मिली क्योंकि गौतम गंभीर इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी को सलाह देने में माहिर हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय टीम के कोच के लिए ‘सही विकल्प’ नहीं है।
उन्होंने कोच के रूप में गंभीर की असफलता का हवाला देते हुए पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘देखिए, परिणाम आपके सामने है। परिणाम झूठ नहीं बोलते। आंकड़े गलत नहीं होते। रिकॉर्ड खुद बोलता है।’’ पश्चिम बंगाल सरकार के खेल राज्य मंत्री तिवारी ने गंभीर के कोचिंग के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘वह राहुल द्रविड़ के अच्छे कामों को आगे नहीं बढ़ा पाए ।’’ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘ गंभीर को चीजों को सही करने या जीत की राह पर आने में बहुत समय लगेगा। उन्हें भारत जैसी टीम के खिलाड़ियों को कोचिंग देने का कोई अनुभव नहीं है।’’
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘मैं ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि उनके पास टेस्ट या एकदिवसीय क्रिकेट में कोचिंग देने का कोई अनुभव है।’’ तिवारी का मानना है कि वीवीएस लक्ष्मण और साईराज बहुतुले जैसे पूर्व खिलाड़ियों को कोचिंग में पर्याप्त अनुभव है और वे भारतीय टीम के कोच के लिए आदर्श विकल्प होते। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वीवीएस लक्ष्मण और साईराज बहुतुले जैसे पूर्व खिलाड़ी अगले मुख्य कोच बनने की कतार में थे। ये लोग पिछले कई वर्षों से एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) के साथ हैं। जब राहुल द्रविड़ उपलब्ध नहीं थे, तो अगला कोच ऐसे ही किसी को होना चाहिये था।’’
उन्होंने केकेआर के आईपीएल चैम्पियन बनने का पूरा श्रेय गंभीर को दिये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि टीम की सफलता में मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित और खिलाड़ियों का भी अहम योगदान था। उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें कोई शक नहीं कि गंभीर ने खराब दौर से गुजर रहे आंद्रे रसेल और सुनील नारायण जैसे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया लेकिन अगर वही सारा काम कर रहे थे तो चंद्रकांत पंडित क्या कर रहे थे? क्या आप कहना चाह रहे हैं कि केकेआर की सफलता में कोच के तौर पर चंद्रकांत पंडित और अन्य खिलाड़ियों की कोई भूमिका नहीं थी?’ चंद्रकांत पंडित को घरेलू क्रिकेट में सफलता के बाद केकेआर का कोच बताया गया था।