नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ ने साफ कर दिया है कि उसका महिलाओं के खिताब (महिला ग्रैंडमास्टर आदि) हटाने का कोई इरादा नहीं है। फिडे के सीईओ एमिल सुतोवस्की का कहना है कि ऐसा करना महिलाओं से उनके अधिकार छीनना और महिला प्रतिभाओं के साथ अन्याय होगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुतोवस्की ने कहा, पिछले वर्षों में शीर्ष पर मौजूद महिला शतरंज खिलाड़ियों की रेटिंग में काफी गिरावट आई है, इसलिए उन्हें महिलाओं की इवेंट की जरूरत है, जिसमें खेल कर वह अपने में सुधार कर सकें। महिला शतरंज में पुरस्कार राशि बढ़ाए जाने के बावजूद महिला शतरंज लगभग 15 वर्ष पीछे है। पहले हमें 15 से 17 वर्ष की आयु में 2500 की रेटिंग वाली महिला खिलाड़ी मिल जाती थीं, लेकिन आज हमारे पास 17 से 18 वर्ष की आयु में 2400 की रेटिंग वाली दो खिलाड़ी मौजूद हैं।
दिग्गज खिलाड़ी हंगरी की जूडिथ पोल्गर आवाज उठा रही हैं कि महिला शतरंज के खिताबों को खत्म कर देना चाहिए। उनका समर्थन भारतीय ग्रैंडमास्टर आर वैशाली ने भी किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, महिला खिताब हटाने से महिलाओं को ग्रैंडमास्टर हासिल करने की ज्यादा प्रेरणा मिलेगी।
ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से का कहना है कि महिलाओं के खिताब हटाने से महिला शतरंज खत्म हो जाएगी। जूडिथ पुरुषों के साथ खेलती थीं। लेकिन उनकी बहन सुसान ने महिलाओं के साथ खेलना नहीं छोड़ा। वैशाली को जितने भी पुरस्कार मिले हैं, उनमें महिला शतंरज के खिताबों का योगदान है।