नई दिल्ली: भारतीय टेस्ट टीम को नया कप्तान मिल गया। इंग्लैंड दौरे पर 5 मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए शनिवार (24 मई) को भारतीय टीम का ऐलान हुआ। शुभमन गिल को रोहित शर्मा का उत्तराधिकारी चुना गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बड़ा सवाल यह है कि गिल ही कप्तान क्यों बने? जसप्रीत बुमराह, केएल राहुल और ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों को कप्तान क्यों नहीं बनाया गया? एक सवाल यह भी है कि क्या इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (IPL 2025) भी फैक्टर बनकर उभरा? इन सवालों के जवाब के लिए भारतीय क्रिकेट के इतिहास को खंगालना होगा। विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने का प्रकरण याद करने पर भारतीय क्रिकेट की नीति सबसे बड़ा कारण प्रतीत होगी। इस लेख में इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
शुभमन गिल की ताजपोशी अचानक से नहीं हुई है। उनका कप्तान बनना हैरानी भरा फैसला नहीं है। भारतीय क्रिकेट का थिंक टैंक उन्हें पहले से लीडरशिप रोल में देख रहा था। टी20 वर्ल्ड कप 2024 में भारत चैंपियन बना। जिम्बाब्वे दौरे पर पहली बार शुभमन गिल को कप्तानी दी गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सूर्यकुमार यादव को टी20 का कप्तान बनाया गया तो श्रीलंका दौरे पर गिल उपकप्तान थे। हालांकि, इसके बाद से वह टी20 टीम का हिस्सा नहीं रहे। वह वनडे टीम के उपकप्तान बनाए गए। चैंपियंस ट्रॉफी में भी वह रोहित के डिप्टी थे। टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया में थोड़े बहुत इसके संकेत मिले थे। कई मौकों पर उन्हें गेंदबाजों से बात करते हुए देखा गया।
रोहित शर्मा के बाद कप्तान के तौर पर सबसे पहले किसी खिलाड़ी का नाम आगे आ रहा था तो वे जसप्रीत बुमराह थे। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वह उपकप्तान थे। अकेले दम पर ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने भारत को जीवित रखा, लेकिन सिडनी टेस्ट में चोट और चैंपियंस ट्रॉफी में उपलब्ध न होने से बुमराह का दावा कमजोर हुआ। फिलहाल भारतीय क्रिकेट में सबसे बड़े मैच विनर जसप्रीत बुमराह हैं, लेकिन यह बात भी सच है कि उनका वर्कलोड मैनेजमेंट भी जरूरी है। बुमराह हर मैच नहीं खेल सकते और जरूरत के हिसाब से तीनों फॉर्मेट में खेलते दिखेंगे। ऐसे में बुमराह उपयुक्त विकल्प होते हुए भी कप्तान नहीं बनाए गए।
केएल राहुल को टेस्ट क्रिकेट में 10 साल हो गए हैं, लेकिन वह अबतक अपनी जगह स्थापित नहीं कर पाए हैं। राहुल का करियर ऐसा होना चाहिए था कि विराट कोहली और रोहित शर्मा के जाने के बाद कप्तानी पर बहस ही न होती। राहुल कप्तान बनाए जाते, लेकिन सच्चाई यह है कि टीम में उनके लिए जगह बनानी पड़ती है। कभी ओपनर तो मिडिल ऑर्डर तो कभी विकेटकीपर के तौर पर आजमाया जाता है। फिलहाल राहुल का टेस्ट करियर उन्हें औसत बल्लेबाज (Average Battter) बताता है। 101 पारियों के बाद 33.57 का औसत काफी साधारण है। आगे टीम में बने रहने के लिए इंग्लैंड दौरे पर राहुल को अच्छा प्रदर्शन करना होगा।
टेस्ट क्रिकेट में ऋषभ पंत का रिकॉर्ड बेजोड़ है, खासकर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में। पंत के कप्तान न बनने से एक धारणा यह होगी कि आईपीएल 2025 में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। आईपीएल ने शायद ही पंत के कप्तान न बनने में भूमिका निभाई हो। इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारतीय क्रिकेट की नीति की है। भारतीय क्रिकेट का थिंक टैंक 3 फॉर्मेट में 3 कप्तान नहीं चाहता। ऋषभ पंत का टेस्ट में जगह पक्की है, लेकिन व्हाइट बॉल क्रिकेट में नहीं। ये नीति पुरानी है।
इसी नीति के कारण भी शुभमन गिल बाजी मार गए। पहले यह नीति रेड बॉल और व्हाइट बॉल क्रिकेट को लेकर थी। यही कारण था कि विराट कोहली ने टी20 की कप्तानी छोड़ी तो उन्हें वनडे से भी कप्तानी से हटने को कहा गया। कोहली-धोनी युग में भी 2 कप्तान दिखे। टी20 क्रिकेट बढ़ने और वनडे क्रिकेट कम होने पर नीति में थोड़ा बदलाव हुआ। 2022 टी20 वर्ल्ड कप के बाद भी स्प्लिट कैप्टेंसी देखने को मिली। हार्दिक पंड्या ने टी20 में कमान संभाली। रोहित शर्मा वनडे और टेस्ट में अगुआई की। अब हालात ऐसे हैं कि टी20 के स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की भरमार है। भारत की वनडे और टेस्ट टीम उससे एकदम अलग दिखती है। इन दो फॉर्मेट के स्क्वाड में ज्यादा बदलाव नहीं होता।
इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम
शुभमन गिल (कप्तान), ऋषभ पंत (विकेटकीपर और उप-कप्तान), यशस्वी जयसवाल, केएल राहुल, साई सुदर्शन, अभिमन्यु ईश्वरन, करुण नायर, नितीश रेड्डी, रविंद्र जडेजा, ध्रुव जुरेल, वॉशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, आकाश दीप, अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव।