भोपाल/देहरादून। जहाँ कई लोग ज़रा-सी असुविधा में हार मान लेते हैं, वहीं भोपाल के अयोध्या नगर की रहने वाली 12 वर्षीय दीक्षा सिंह गुरूँग ने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो किसी प्रेरणादायक फिल्म की कहानी जैसा प्रतीत होता है।
दीक्षा ने 13 से 15 जून 2025 तक देहरादून में आयोजित 4th KIO National Karate Championship में देशभर के 32 राज्यों से आए 3000 से अधिक प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए सब-जूनियर -55 केटेगरी में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। प्रतियोगिता में बंगाल, नागालैंड, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों के शीर्ष खिलाड़ी शामिल थे। दीक्षा ने तमिलनाडु और वेस्ट बंगाल को हराकर फाइनल में जगह बनाई, जहाँ उनका मुकाबला मध्यप्रदेश और कर्नाटक के बीच बेहद रोमांचक संघर्ष में हुआ। अंततः सबकी निगाहें दीक्षा पर ही टिक गईं, जब उन्होंने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ यह मुकाबला जीतकर भोपाल और भारत का नाम रोशन किया।
जीत की राह आसान नहीं थी…टीटी नगर स्टेडियम में ‘Pay and Play’ योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर रही दीक्षा के लिए यह प्रतियोगिता केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि उनके सपनों की पहली सीढ़ी थी। कोच रुद्र प्रताप सिंह ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करने के लिए दिन-रात मेहनत की। चोट की पीड़ा को दरकिनार करते हुए, दीक्षा ने ज़िला स्तर से लेकर नेशनल फाइनल तक का सफर आत्मबल, अनुशासन और दृढ़ संकल्प के बल पर तय किया।
अब दीक्षा का चयन श्रीलंका में होने वाली अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता के लिए हुआ है, जहाँ वह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह न केवल एक खिलाड़ी की व्यक्तिगत जीत है, बल्कि गुरु और शिष्य के समर्पण, मेहनत और विश्वास की एक जीवंत मिसाल भी है। कोच रुद्र प्रताप सिंह ने कहा: “दीक्षा केवल एक खिलाड़ी नहीं, एक ज्वाला है। उसमें जुनून है, अनुशासन है और सबसे बड़ी बात — कभी न हार मानने वाली आत्मा है।”