नई दिल्ली। भारतीय वनडे और टी20 टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी है। वो टीम में खेलते रहेंगे। धौनी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। अब वो सिर्फ वनडे और टी20 खेलते हैं। धौनी ने अब तक 199 वनडे में भारत की कप्तानी की है जबकि 72 अंतरराष्ट्रीय टी20 मैचों में वो कप्तान रहे हैं। बीसीसीआइ ने ट्विटर पर इस खबर की जानकारी देते हुए लिखा, ‘महेंद्र सिंह धौनी ने टीम इंडिया की कप्तानी छोड़ी। वो इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली वनडे और टी20 सीरीज में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे।’
तो क्या सत्ता परिवर्तन भी है धौनी के कप्तानी छोड़ने की एक वजह?
पहले एन श्रीनिवासन और उसके बाद अनुराग ठाकुर से भी बेहतर संबंध बनाने वाले महेंद्र सिंह धौनी ने बीसीसीआइ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दो दिन बाद ही वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ दी। धौनी को बीसीसीआइ व आइसीसी के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन का चहेता माना जाता था। वह ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में लगातार आठ टेस्ट हारने के बाद भी भारतीय टीम के कप्तान बने रहे थे। श्रीनिवासन के बोर्ड की सत्ता से बेदखल होने के बाद उनकी सत्ता के भी डगमगाने के अनुमान लगाए जाने लगे थे। लेकिन तेजतर्रार धौनी नए सचिव और इसके बाद अध्यक्ष बने अनुराग ठाकुर से भी अच्छा रिश्ता बनाने में सफल रहे। आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान बंद लिफाफा खुलने की खबरों के बीच धौनी ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज से ठीक पहले चोटिल होने की बात कहकर वहां जाने से इन्कार कर दिया। हालांकि वह पहले टेस्ट के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचे और वहां दूसरे टेस्ट में कप्तानी की। इसके बाद अचानक ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। इसके बाद से वह लगातार वनडे और टी-20 में खेलते रहे। उन्होंने 2015 वनडे विश्व कप और पिछले साल हुए टी-20 विश्व कप में भारत की कप्तानी की। टी-20 विश्व कप के बाद से ही इस बात के संकेत मिल रहे थे कि वह कप्तानी छोड़कर सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर खेलते रहेंगे।
हालांकि बोर्ड के हुक्मरानों से पूरा साथ मिलने के कारण वह कप्तानी नहीं छोड़ रहे थे। या यो कहें कि बीसीसीआइ भी विराट को कुछ अनुभव मिलने तक धौनी को वनडे और टी-20 का कप्तान बनाए रखना चाहता था। कुल मिलाकर बीसीसीआइ और माही के बीच अच्छा तालमेल चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अनुराग ठाकुर के बोर्ड से बेदखल होने के बाद माही ने इस्तीफा देना मुनासिब समझा।
इसी साल जून में जिंबाब्वे जा रही टीम के ठीक पहले प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं है कि मैं खेल का लुत्फ नहीं उठा रहा हूं, यह फैसला बीसीसीआइ को करना है। इस पर फैसला मुझे नहीं करना। उन्होंने टीम इंडिया के पूर्व टीम निदेशक रवि शास्त्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि खुद को देश की ओर से खेलने के लिए प्रेरित करना कभी समस्या नहीं रही और सबसे अहम पहलू फिटनेस है। आपको कुछ समय के लिए ही देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है और यह मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। इसे हासिल करने के लिए मुझे खुद को फिट रखना होगा। मैं 35 बरस का हूं और जिस दिन मैं अब जितना तेज नहीं दौड़ पाऊंगा उस दिन मुझे पता चल जाएगा कि मेरा समय पूरा हो गया। मुझे खुद को अधिक फिट रखना होगा। फिटनेस काफी अहम है, लेकिन मैं तेज गेंदबाज नहीं हूं और मेरे शरीर की मांग अलग है।