नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ गेम्स की दो बार की चैंपियन भारतीय भारोत्तोलक संजीता चानू डोप टेस्ट में विफल रहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन संघ (आईडब्लयूएलएफ) की ओर से जानकारी दी गई है कि इस साल अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 53 किग्रा भार वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली चानू डोप टेस्ट में फेल हो गईं हैं। आईडब्ल्यूएलएफ ने उन्हें एंटी-डोपिंग नियम उल्लंघन नियम के तहत तत्काल प्रभाव से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। उनका पदक भी छीना जा सकता है।
आईडब्ल्यूएलएफ के मुताबिक चानू के खून में स्टेरॉयड पाया गया है। चानू के शरीर में टेस्टोस्टेरोन स्टेरॉयड पाया गया है। यह एक ऐसा ड्रग है, जिससे एथलीट के शरीर में बहुत ज्यादा ताकत आती है। संघ ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि भारत की चानू के नमूने में प्रतिबंधित टेस्टोस्टेरोन पाया गया है, जो डोपिंग रोधी नियम का संभावित उल्लंघन है। इसके कारण यह खिलाड़ी अस्थायी रूप से निलंबित रहेगी। उन्होंने आगे लिखा कि अगर यह साबित होता है कि खिलाड़ी ने डोपिंग रोधी नियम का उल्लंघन नहीं किया है तो अगले फैसले को भी प्रकाशित किया जाएगा। आईडब्ल्यूएलएफ ने डोप परीक्षण नमूना लेने की तारीख जैसे अन्य विवरण नहीं दिए और लिखा कि आईडब्ल्यूएलएफ इस मामले के समाप्त होने तक और कोई टिप्पणी नहीं करेगा।
संजीता ने पिछले साल नवंबर में अनाहेम (अमेरिका) में विश्व चैंपियनशिप में 53 किग्रा वर्ग में हिस्सा लिया था और कुल 177 किलोग्राम भार वर्ग उठाकर 13वें स्थान पर रही थीं। उन्होंने गोल्ड कोस्ट में 53 किग्रा भार वर्ग में कुल 192 किग्रा भार उठाकर स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले संजीता ने ग्लास्गो 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भार वर्ग में भी स्वर्ण पदक जीता था।
चानू ने गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 53 किलोग्राम भार वर्ग में (192 किग्रा) भार उठाकर सोने का तमगा जीता। इस वर्ग का रजत पदक पापुआ न्यू गिनी की लाऊ दिका ताऊ और कनाडा की रेशल लेबनांक ने जीता था।