भोपाल। एशियन गेम्स की शूटिंग स्पर्धा में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले मेरठ के सौरभ चौधरी ने कहा कि अब उनका लक्ष्य यूथ ओलंपिक का गोल्ड मेडल है। जिसके लिए वे तैयारियों में जुटे हैं, तकनीक और वेदर के हिसाब से अभ्यास कर रहे हैं। १६ वर्षीय सौरभ मप्र राज्य शूटिंग अकादमी में यूथ ओलंपिक के लिए लगे नेशनल कैंप में भारतीय टीम का हिस्सा हैं। इस दौरान उन्होंने नेशनल स्पोर्ट्स टाइम्स पत्रिका को बताया कि एशियाड के पहले भोपाल में लगे नेशनल कैंप का फायदा मिला है। हमनें यहां जो तैयारी की थी उसका फायदा हमें एशियाड में मिला है। जिसका नतीजा रहा है हमारे खिलाड़ी एशियाई खेलों के शूटिंग में नौ पदक जीत लिए। बतां दे कि एशियाड के पहले भारतीय शूटरों का कैंप भी बिशनखेड़ी स्थित मप्र राज्य शूटिंग अकादमी की रेंज में लगाया गया था, जो करीब एक महीने तक चला था। सौरभ चौधरी शूटिंग में यूथ ओलंपिक कोटा लेने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी हैं।
निशानेबाजी का चस्का-१० वीं क्लास की पढ़ाई कर रहे सौरभ ने बताया कि शूटिंग की शुरुआत उन्होंने २०१५ में की थी। बचपन में बड़े भाई नितिन चौधरी ने प्लास्टिक की बंदूक ला कर दी थी। बस यहीं से मुझे निशानेबाजी का चस्का लग गया। इसके बाद मैं मेलों में गुब्बारों पर निशाना लगाने लगा।
खेती करते हैं पिता -मेरठ जिले के कलीना गांव के रहने वाले इस खिलाड़ी के पिता जगमोहन सिंह गांव में खेती का कार्य करते हैं। पिछले ३ वर्षों से सौरभ जनपद बागपत के बिनौली स्थित वीर शाहमल राइफल क्लब पर कोच अमित श्योराण के निर्देशन में शूटिंग का प्रशिक्षण ले रहे हैं। सौरभ ने खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक और पिछले २ वर्षों में ७ इंटरनेशनल मेडल भी जीते हैं।
ओलंपिक में गोल्ड जीतना सपना-१० मीटर एयर पिस्टल में जलवा बिखेरने वाले इस खिलाड़ी ने बताया कि मेरा सपना २०२० ओलंपिक में गोल्ड जीतना है। जिसके लिए शूटिंग वल्र्ड कप में शानदार प्रदर्शन कर ओलंपिक कोटा हासिल करने की कोशिश करूंगा।
खेलते हैं वालीबॉल भी -उन्होंने बताया कि मुझे शूटिंग के अलावा वालीबॉल खेलना बेहद पसंद है, जब भी गांव जाता हूं तो वालीबॉल जरूर खेलता हूं। इसके अलावा शूटिंग में फोकस करने के लिए योगा करता हूं। उन्होंने आगे बताया कि मुझे सोशल मीडिया पसंद नहीं है इससे हमेशा दूर ही रहता हूं।
पढ़ाई में मेरा मन नहीं लगता था-गन्ना किसान के बेटे सौरभ ने शूटिंग में करियर बनाने के लिए बहुत ज्यादा तैयारी नहीं की थी बल्कि यह तो उनके लिए पढ़ाई से बचने का एक जरिया जैसा था और इसी ने उन्हें भारत का चमकता सितारा बना दिया। सौरभ बताते हैं कि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं था और कभी इसमें मेरा मन नहीं लगा। मैं कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे मैं प्यार करता था और शूटिंग में कुछ ऐसा था, जिसने मेरा ध्यान खींचा।-मुकेश विश्वकर्मा-