जकार्ता। एशियाड में शनिवार को मुक्केबाजी के 49 किग्रा भार वर्ग में अमित पंघाल ने भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। वहीं, ब्रिज में प्रणब बर्धन (60 साल) और शिबनाथ सरकार (56) की जोड़ी ने मेन्स पेयर स्पर्धा में गोल्ड दिलाया। भारत के नाम अब 15 स्वर्ण समेत 67 पदक हो गए। अमित इस वर्ग में पदक जीतने वाले भारत के दूसरे मुक्केबाज हैं। उनसे पहले बिरजू शाह ने 1994 में इस स्पर्धा का कांस्य पदक जीता था। मुक्केबाजी के फाइनल में अमित ने उज्बेकिस्तान के दुस्मतोव हसनबॉय को 3-2 से हराया। दुस्मतोव 2016 रियो ओलिंपिक चैम्पियन रहे हैं। मेन्स बॉक्सिंग में भारत को 2010 के बाद पहली बार स्वर्ण पदक मिला है। 2010 में विजेंदर सिंह ने 75 किग्रा भार वर्ग और विकास कृष्ण ने 60 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण जीता था। अमित इस एशियाड के फाइनल तक पहुंचने वाले इकलौते भारतीय बॉक्सर रहे। गोल्ड जीतने पर सेना में नायब सूबेदार अमित को केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ट्वीट कर बधाई दी।

बड़े भाई अजय ने खुद बॉक्सिंग छोड़कर अमित को आगे बढ़ाया
अमित के भाई अजय भी मुक्केबाजी करते थे, लेकिन छोटे भाई को अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर बनाने के लिए उन्हें खेल छोड़ना पड़ा। वे वर्तमान में सेना में जवान के तौर पर पठानकोट में तैनात हैं। अजय ने बताया कि अनिल धनखड़ ने गांव में निजी बॉक्सिंग एकेडमी शुरू की थी। शुरू में वे खुद वहां प्रैक्टिस करते थे, बाद में अमित को भी ले जाने लगे। कुछ ही दिनों बाद दोनों भाई बॉक्सिंग में स्टेट चैम्पियन बन गए। चूंकि पिता बिजेंद्र सिंह किसान हैं, इसलिए परिवार की आमदनी बहुत ज्यादा नहीं थी। जब दोनों भाई प्रैक्टिस करने लगे तो घर की आर्थिक हालत खराब होने लगे। यह देख अजय ने खेल छोड़कर नौकरी करने की सोची। वे 2011 में सेना में भर्ती हो गए। इसके बाद उन्होंने अपने खर्चे पर अमित की बॉक्सिंग की प्रैक्टिस पर होने वाले खर्चे को खुद उठाया। बड़े भाई के इस त्याग का फल छोटे ने भी मेडल जीतकर दिया।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप की हार का बदला लिया :
2017 में बॉक्सिंग वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उज्बेकिस्तान के दुस्मतोव हसनबॉय ने अमित को हरा दिया था। अजय के मुताबिक, अमित काफी समय से हसनबॉय से आमने-सामने होने का इंतजार कर रहे थे। एशियाड में अमित का यह सपना पूरा हो गया और उन्होंने हसनबॉय को हरा दिया।