नई दिल्ली: भारतीय स्पिनर अश्विन ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बीच से संन्यास ले लिया था। उन्होंने ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वह इस खेल को अलविदा कह रहे हैं। तबसे लगातार यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अश्विन ने किसी दबाव में संन्यास लिया। उनके पिता ने यहां तक कहा कि उनकी बेटे की बेइज्जती हो रही थी जिसके कारण उन्होंने यह फैसला किया। हालांकि अश्विन ने हमेशा इन सब बातों से इनकार किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आखिर उनके संन्यास की क्या वजह थी। उन्होंने कहा, ‘क्या फर्क पड़ेगा अगर मैं मैदान पर गेंदबाजी करने आया और लोग तालियां बजा रहे हों? लोग इस पर कितने दिन चर्चा करेंगे? फेयरवेल से कोई बड़ी बात नहीं होती। खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया और मैंने इसे पूरी खुशी के साथ खेला। अगर मैं एक फेयरवेल मैच खेलना चाहता हूं और मेरी टीम में जगह सिर्फ इसलिए बन रही है क्योंकि वह मेरा फेयरवेल टेस्ट है, मैं कभी ऐसा नहीं चाहता था। मुझे लगा कि मेरे क्रिकेट में और दम था, थोड़ा और खेल सकता था। लेकिन ठीक यही है कि आप तब संन्यास लें जब लोग हैरान हो जाए, तब नहीं जब लोग उम्मीद कर रहे हो कि आप संन्यास ले लो।
अपनी बात जारी रखते हुए मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘एक चीज यह भी है कि क्रिकेट करियर में हमेशा वह नहीं होगा जो हम चाहते हैं। हमें लग सकता कि काश ऐसा हो जाता, ऐसा हो सकता था। लेकिन जब मैंने संन्यास लिया तो मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था। मेरे लिए हर चीज एक सीख थी। जब भी चीजें मेरे हिसाब से नहीं हुई तो मैंने उससे सीखा। मैं जीता तो भी सीखा। मुझे क्रिकेट खेलकर खुशी मिलती थी और इसलिए मैं यह करता था। मैं अब भी उसी खुशी के लिए खेलूंगा। ऐसा मत बोलों कि मैंने क्यों संन्यास लिया।’
अश्विन का प्रदर्शन
रविचंद्रन अश्विन ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर में 287 मैचों में 765 विकेट लिए हैं और 4394 रन बनाए हैं। भारत के लिए 106 टेस्ट मैचों में, दिग्गज ऑलराउंडर अश्विन ने 24.00 की औसत से 537 विकेट लिए, जिसमें 59 रन देकर 7 विकेट का सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा रहा। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 37 बार पांच विकेट और आठ बार दस विकेट मैच हॉल हासिल किए।