नई दिल्ली: भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद खिलाड़ी से लेकर कोच हर कोई निशाने पर हैं। फैंस और दिग्गज सवाल कर रहे हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले शायद ही किसी को उम्मीद थी कि यह टीम भारत का सूपड़ा साफ कर देगी। अब सब की नजर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है और गौतम गंभीर को मिली आजादी की बी परीक्षा है।
पीटीआई की खबर के मुताबिक बोर्ड गौतम गंभीर के प्रदर्शन से खुश नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर को कई ऐसे अधिकार दिए गए जो कि किसी और के पास नहीं थे। ऐसे में गंभीर से परिणाम को लेकर भी उम्मीदें ज्यादा है। गंभीर के कमान संभालने के तुरंत बाद, भारत 27 वर्षों में पहली बार श्रीलंका से एकदिवसीय सीरीज हार गया और फिर न्यूजीलैंड ने रविवार को घरेलू टेस्ट में अपनी टीम का 3-0 से सफाया कर दिया। भारत का इससे पहले कभी भी तीन या उससे अधिक मैचों की श्रृंखला में सूपड़ा साफ नहीं हुआ था। इस कारण गंभीर अब काफी दबाव में है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ‘‘गौतम गंभीर को ऐसा अधिकार दिया गया जो उनसे पहले कोच रहे रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ के पास नहीं थी। बीसीसीआई के नियम कोच को चयन समिति की बैठकों का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे की चयन बैठक के लिए एक अपवाद था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दौरे की अहमियत को देखते हुए मुख्य कोच को इसमें भाग लेने की अनुमति दी गई थी।’’
भारत को 22 नवंबर से ऑस्ट्रेलिया में सीरीज खेलनी है। पांच टेस्ट मैचों की यह सीरीज तय करेगी कि भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेलेगा या नहीं। दिल्ली और केकेआर के तेज गेंदबाज हर्षित राणा और आंध्र और एसआरएच के ऑलराउंडर नीतीश रेड्डी उन दो खिलाड़ियों में शामिल है जिन्हें मुख्य कोच की मांग पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम में चुना गया है। गंभीर के इन फैसलों पर बोर्ड की नजरें होगी।