नई दिल्ली: भारत की वनडे और टेस्ट टीम से बाहर टी20 टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव को मंगलवार (27 अगस्त)से बुची बाबू टूर्नामेंट में TNCA XI के खिलाफ मुंबई के लिए खेलते देखा जाएगा। सूर्यकुमार ने इस मैच से पहले सोमवार (26 अगस्त)को प्रैक्टिस सेशन में 3 घंटे बिताए। अगले चार महीनों में भारत को 10 टेस्ट खेलने हैं ऐसे मेंसूर्या के इरादे बिल्कुल साफ हैं। उन्होंने कहा, “मैं उस टेस्ट टीम में जगह बनाना चाहता हूं।”
2023 में नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू करने के बाद से 33 वर्षीय खिलाड़ी भारत के टेस्ट सेटअप का हिस्सा नहीं रहा है। श्रीलंका सीरीज से पहले मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने भी कहा था कि सूर्यकुमार को एक टी20 खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उन्हें वनडे टीम में नहीं चुना गया था। लेकिन नए मुख्य कोच गौतम गंभीर ने सूर्या की टेस्ट टीम में वापसी के लिए दरवाजा खुला रखा है। बल्लेबाज की वापसी के लिए अग्निपरीक्षा मंगलवार को बुची बाबू टूर्नामेंट से शुरू होगी।
सूर्यकुमार यादव ने प्रैक्टिस सेशन के बाद कहा, ” ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं भी उस टेस्ट टीम में जगह बनाना चाहता हूं। टेस्ट में भारत के लिए पदार्पण करने के बाद मैं चोटिल हो गया। कई खिलाड़ियों को मौके मिले और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। वे खिलाड़ी इस समय मौके के हकदार हैं। आगे जाकर अगर मुझे खेलना है तो यह मेरे नियंत्रण में नहीं है। अभी मेरे नियंत्रण में यही है कि मैं यह टूर्नामेंट (बुची बाबू) खेलूं, फिर दलीप ट्रॉफी खेलूं और फिर हम देखेंगे कि क्या होता है।”
सूर्या को पता है कि उनका इंतजार लंबा हो सकता है। बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम में विराट कोहली और केएल राहुल की वापसी होगी। इसके अलावा सूर्या के मुंबई के दो साथी श्रेयस अय्यर और सरफराज खान यहां कोयंबटूर में उनके साथ हैं। दोनों मध्यक्रम में जगह बनाने के लिए होड़ में हैं। अगले तीन सप्ताह में सूर्या को कम से कम तीन दलीप ट्रॉफी मैच खेलने हैं। इसके बाद रणजी ट्रॉफी भी होनी है।
सूर्या को मल्टी डे फिक्चर खेले हुए 13 महीने हो चुके हैं, ऐसे में उन्हें बहुत ज्यादा ग्राउंडवर्क करना है। रविवार को जब वे मुंबई की टीम से जुड़े तो वे सीधे नेट्स पर चले गए। जब उन्होंने गार्ड लिया और कुछ गेंदें खेलीं तो नेट बॉलर में से एक ने आश्चर्य से कहा, “एना दा पिरिचु एदुपार नु पथा, पोरुमाया अद्रार। नान कूड़ा बयानथुते पोतेन (मुझे उम्मीद थी कि वह मुझे कूटेंगे… गेंदबाजी करने से भी डर रहा था, लेकिन वह बहुत सावधानी से खेले)।”
इसके बाद सूर्या ने अपने ट्रेडमार्क स्वीप खेला, लेकिन अधिकांश समय उनका ध्यान सिर्फ गेंदों को मिडिल करने और शरीर के करीब खेलने पर रहा। उन्होंने कहा, “यह प्रारूप थोड़ा चुनौतीपूर्ण है। आपको एक कदम आगे रहना होगा। आप टी20 मैच की तरह बल्लेबाजी नहीं कर सकते। लेकिन साथ ही इंटेट बहुत महत्वपूर्ण है। मैदान पर आपकी बॉडी लैंग्वेज कैसी है वह भी महत्वपूर्ण है। अभ्यास सत्रों के दौरान क्या करना है इसके बारे में सोचना होता है। आप खेलते वक्त बहुत अधिक नहीं सोच सकते। आपके नियंत्रण में यह है कि अभ्यास सत्र और खेल शुरू होने तक आप क्या करते हैं। यदि आप अच्छा करते हैं तो विनम्र बने रहें। यदि आप अच्छा नहीं करते हैं तो मूल बातों और ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाएं और फिर से वापस आएं।”
अपनी एकमात्र टेस्ट पारी में सूर्या कुछ खास नहीं कर पाए थे। लेकिन नागपुर की परिस्थितियों ने उन्होंने तेजी से रन बनाने की कोशिश की। पिछले साल की दलीप ट्रॉफी में भी उनकी बल्लेबाजी में थोड़ी जल्दबाजी दिखी थी। हालांकि, पिछले कुछ समय में सूर्या ने दिखाया है कि वे गियर डाउन करके भी बल्लेबाजी कर सकते हैं और पारी को आगे बढ़ा सकते हैं। यह उनके खेल का एक ऐसा पहलू है जिसके बारे में अक्सर बात नहीं की जाती।
82 प्रथम श्रेणी मैचों में उनका औसत 43.62 है और स्ट्राइक रेट 63.74 है और उनके नाम 14 शतक हैं, जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सूर्या ने कहा, ” जब मैं मुंबई के मैदान में खेलकर बड़ा हुआ और लोकल क्रिकेट खेला, तो मैंने लाल गेंद से खेलना शुरू किया। लाल गेंद वाले क्रिकेट के लिए प्यार वहीं से शुरू हुआ। यह हमेशा से रहा है। मैंने करीब 10 साल तक बहुत सारा प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला है। मैंने 2010 में मुंबई के लिए अपना डेब्यू (लाल गेंद) किया और कम से कम 2020 तक खेला। यह प्रारूप मेरे दिल के करीब रहा है और मैंने हमेशा इसे खेलने का आनंद लिया है। यही कारण है कि मैं दलीप ट्रॉफी से पहले यहां हूं। मैं यह अवसर पाकर भाग्यशाली हूं।”