नई दिल्ली: भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत आईपीएल में पिछले सीजन तक दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि अगले सीजन से वह लखनऊ सुपर जायंट्स की जर्सी में नजर आएंगे। पंत को दिल्ली कैपिटल्स ने रिटेन नहीं किया था। पंत और टीम के मालिक पार्थ जिंदल ने कहा था कि इस फैसले में पैसा का रोल नहीं था। हालांकि टीम के हेड कोच हेमांग बदानी ने दोनों को ही झूठा ठहरा दिया है।
ऋषभ पंत नहीं होना चाहते थे रिटेन
क्रिक इट विद बदरी पॉडकास्ट में हेमांग बदानी ने सुब्रामाण्यम बद्रीनाथ को बताया कि पंत कभी रिटेन नहीं होना चाहते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हेमांग ने कहा, ‘उसने कहा कि वह ऑक्शन में जाकर मार्केट टेस्ट करना चाहता है। अगर आप किसी खिलाड़ी को रिटेन करना चाहते हैं दोनों पार्टी को कुछ चीजों पर सहमत होना होता है। हमने उनसे बात करने की कोशिश की। कई फोन और मैसेज किए।’ हेमांग ने यह भी बताया कि रिटेन न करने के बाद भी दिल्ली पंत को टीम में चाहती थी। यही कारण है कि उन्होंने 21 करोड़ रुपए की रकम पर भी पंत के लिए आरटीएम का इस्तेमाल करने का फैसला किया।
ऋषभ पंत को चाहिए था ज्यादा पैसा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हेमांग ने कहा, ‘हां, दिल्ली कैपिटल्स उसे रिटेन करने में इच्छुक थी। उन्होंने कहा कि वह ऑक्शन में जाना चाहते थे। उसे लग रहा था कि वह रिटेन खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा रकम पाने वाले क्रिकेटर से ज्यादा पैसा पाएगा। उसे लगा कि उसकी कीमत ज्यादा है और मार्केट को भी ऐसा ही लगा। उसे 27 करोड़ रुपए मिले। यह उसके लिए अच्छा है। वह अच्छा खिलाड़ी हैं। बेशक हम उसे मिस करेंगे लेकिन जिंदगी चलती रहती है।’
ऋषभ पंत और पार्थ जिंदल का बयान
कुछ समय पहले टीम के मालिक पार्थ जिंदल ने इससे अलग ही कहानी सुनाई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ईएसपीएनक्रिकइंफो को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि पंत के दिल्ली छोड़कर जाने के फैसले में पैसों का कोई लेना देना नहीं था। वहीं ऋषभ पंत ने भी एक्स पर पोस्ट करके कहा था कि वह पैसों की वजह से ऑक्शन में नहीं गए थे।