आगरा। उत्तर प्रदेश के विकेटकीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल जल्द ही हैदराबाद के लिए उड़ान भरते दिखेंगे। उस फ्लाइट में उनके साथ रोहित शर्मा, विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह, केएल राहुल जैसे दिग्गज क्रिकेटर मौजूद होंगे। जो उड़ान ध्रुव अब भरने वाले हैं, वह कोई सामान्य उड़ान नहीं है। वह उड़ान उन्हें उनके सपनों के करीब ले जाएगा, जिसके बारे में उन्होंने बचपन से सोच रखा था।दरअसल, ध्रुव को इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के शुरुआती दो मुकाबलों लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है। आज से कुछ महीने पहले तक उन्होंने सोचा तक नहीं होगा कि टीम इंडिया में उनकी इस तरह एंट्री हो जाएगी। 22 साल के इस खिलाड़ी के लिए यह सपना सच होने जैसा है।
ध्रुव जुरेल का बचपन
22 साल के इस खिलाड़ी ने छोटी सी उम्र में कई बड़े कारनामे किए हैं। वह आगरा के रहने वाले हैं और उनके पिता सेना में थे, जिन्होंने करगिल युद्ध में भाग लिया था। 2001 में जुरेल का जन्म हुआ और वह 10 साल के भी नहीं थे, जब उनके पिता बतौर हवलदार सेना ने रिटायर हो गए।इस समय ध्रुव जुरेल आगरा के आर्मी स्कूल में पढ़ते थे। उनके पिता चाहते थे कि बेटा सेना में अफसर बने और उनकी तरह देश की सेवा करे। इसी वजह से ध्रुव के पिता नेम सिंह जुरेल ने बेटे को खेल से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने को कहा। स्कूल में दो महीने के लिए खेल का कैंप शुरू हुआ तो ध्रुव तैराकी में भाग लेने के लिए अपने दो दोस्तों के साथ पहुंचे।
ध्रुव ने अपने पिता से झूठ बोला था
दरअसल, बचपन में ध्रुव ने अपने पिता से झूठ बोला था कि वह स्कूल में सिर्फ तैराकी सीख रहे हैं। जब पिता को पता चला कि ध्रुव ने क्रिकेट कोचिंग के लिए भी दाखिला लिया है, तो फिर उन्हें पिता के जबरदस्त गुस्से का सामना करना पड़ा था। जब तैराकी की कक्षाएं चलती थीं तो ध्रुव क्रिकेट खेलते हुए और बेहतरीन शॉट लगाते हुए दिखते थे।ध्रुव को क्रिकेट बहुत पसंद आया और उन्होंने तैराकी छोड़ क्रिकेट में अपना नाम लिखा लिया। उनके पिता को भी जल्द ही अहसास हुआ कि बेटा क्रिकेट को लेकर काफी भावुक है और फिर उन्होंने ध्रुव को अपने सपने को पूरा करने की अनुमति दी।
ध्रुव को जब बैट चाहिए था, तो उनके पिता ने बल्ला लाने के लिए अपने दोस्तों से 800 रुपये कर्ज लिए थे।पिता चाहते थे बेटा सरकारी नौकरी की तैयारी करे.एक साधारण पृष्ठभूमि से आने के कारण, जहां वित्त एक बड़ा मुद्दा था, ध्रुव को अपने पिता को दूसरों को सलाम करते हुए देखने से नफरत थी। उन्होंने अपने क्रिकेट पर कड़ी मेहनत की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके पिता को एक दिन किसी को सलाम न करना पड़े। ध्रुव ऐसा करने में कामयाब रहे हैं।जब ध्रुव थोड़े बड़े हुए तो उनके पिता चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी पाने पर ध्यान केंद्रित करें और उन्होंने ध्रुव को क्रिकेट खेलना बंद करने के लिए कहा था, लेकिन बेटे ने मन बना लिया था। उनके पिता घर पर आर्थिक समस्याओं के कारण असहाय थे।
ध्रुव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, ‘मैंने अपने पिता से कहा कि किट की कीमत लगभग 8,000 रुपये होगी और वह कीमत सुनकर चौंक गए और मुझे क्रिकेट खेलना बंद करने के लिए कहा।’ आर्मी से रिटायर पिता के लिए बिना कुछ सोचे-समझे क्रिकेट किट खरीदना आम नहीं था। साथ ही वह चाहते थे कि बेटा सेना में अफसर बने। इस वजह से वह किट नहीं खरीद रहे थे। ऐसे में ध्रुव ने कहा कि अगर उन्हें क्रिकेट किट नहीं मिली तो वह घर छोड़ देंगे। ऐसे में उनकी मां ने सोने की चेन बेचकर बेटे को किट दिलाई।