भोपाल। खिलाड़ियों को डोपिंग के संबंध में जरूरी जानकारी देकर जागरूक बनाने के उद्देश्य से आज खेल और युवा कल्याण विभाग की पहल पर टी.टी. नगर स्टेडियम में एक कार्यशाॅला आयोजित की गई। कार्यशाॅला में नेशनल एन्टी डोपिंग एजेंसी (नाडा) के प्रोजेक्ट आॅफिसर डाॅं. अंकुश गुप्ता द्वारा खिलाड़ियों को ‘‘डोपिंग’’ संबंधी तकनीकी एवं व्यवहारिक मार्गदर्शन दिया गया। वर्कशाॅप को संबोधित करते हुए डाॅं. अंकुश गुप्ता ने कहा कि डोपिंग का मतलब सीधे-सीधे चीटिंग होता है और खिलाड़ियों को इससे बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘‘डोपिंग’’ का उपयोग खिलाड़ी के भविष्य के निर्माण में बहुत बड़ी बाधा बन सकता है और इसका उपयोग करने वाले खिलाड़ी का कैरियर नष्ट हो सकता है। डाॅ. गुप्ता ने ‘‘डोपिंग’’ के विभिन्न प्रकारों और उनके दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए खिलाड़ियों को जागरूक रहने की नसीहत दी। उन्होंने खिलाड़ियों को चोट एवं उपचार के दौरान उपयोग की जाने वाली दवाइयों की जानकारी से अपडेट रहने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसी कई दवाइयाँ है जो डोपिंग की श्रेणी में आती हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इनका उपयोग खिलाड़ी द्वारा किया जाता है और बाद में यह खिलाड़ियों के लिए खेल में प्रतिबंध का कारण बन जाती है। इसके बारे में खिलाड़ी को जागरूक रहकर ‘‘नाडा’’ को अवगत कराने की प्रक्रिया जानना जरूरी है।
संचालक खेल और युवा कल्याण श्री उपेन्द्र जैन ने बताया कि खिलाड़ियों को डोपिंग के दुष्परिणामों से अवगत कराने के उद्देश्य से कार्यशाॅला का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों को जागरूक करने की दिशा में खेल विभाग द्वारा दूसरी बार डोपिंग पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में विभिन्न खेल अकादमियों के खिलाड़ियों के अलावा खेलो इंडिया केे तहत भागीदारी कर रहे कबड्डी और व्हाॅलीबाॅल के खिलाड़ियों को भी डोपिंग के संबंध में जानकारी दी गई। वर्कशाॅप में विश्व के नंबर तीन स्नूकर खिलाड़ी कमल चावला सहित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के भी करीब डेढ़ सौ खिलाड़ियों ने भागीदारी की। वर्कशाॅप में अर्जुन अवार्डी एवं अकादमी के मुख्य प्रशिक्षक श्री अशोक ध्यानचंद, जी.एल. यादव, एम.के. कौशिक, दलबीर सिंह एवं साई के सीनियर कोच जीवन शर्मा, सुरेन्द्र पाल आदि भी उपस्थित थे।