28.1 C
New Delhi
Saturday, November 23, 2024

फ्रांस दूसरी बार बना फीफा विश्वकप चैंपियन, क्रोएशिया ने भी जीता दिल

मास्को। महत्वपूर्ण मौकों पर स्कोर करने की अपनी काबिलियत और भाग्य के दम पर फ्रांस ने रविवार को यहां फीफा विश्व कप के रोमांचक फाइनल में दमदार क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मैंडजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनाई, लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया। फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा।
पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी। जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगायी। फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था। तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं। इस तरह से डेसचैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गए हैं।
उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी फ्रैंक बेकनबऊर ने यह उपलब्धि हासिल की थी। क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था। उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किये और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता लेकिन आखिर में जालटको डालिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा।
निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबाल खेली लेकिन फ्रांस अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया, यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैम्पियन बनने में सफल रहा। दोनों टीमें 4-2-3-1 के संयोजन के साथ मैदान पर उतरी। क्रोएशिया ने इंग्लैंड की खिलाफ जीत दर्ज करने वाली शुरुआती एकादश में बदलाव नहीं किया तो फ्रांसीसी कोच डेसचैम्प्स ने अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने पर ध्यान दिया।
क्रोएशिया ने अच्छी शुरुआत और पहले हाफ में न सिर्फ गेंद पर अधिक कब्जा जमाये रखा बल्कि इस बीच आक्रामक रणनीति भी अपनाये रखी। उसने दर्शकों में रोमांच भरा जबकि फ्रांस ने अपने खेल से निराश किया। यह अलग बात है कि भाग्य फ्रांस के साथ था और वह बिना किसी खास प्रयास के दो गोल करने में सफल रहा।
फ्रांस के पास पहला मौका 18वें मिनट में मिला और वह इसी पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा। फ्रांस को दायीं तरफ बाक्स के करीब फ्री किक मिली। ग्रीजमैन का क्रास शॉट गोलकीपर डेनियल सुबासिच की तरफ बढ़ रहा था लेकिन तभी मैंडजुकिच ने उस पर हेडर लगा दिया और गेंद गोल में घुस गयी। इस तरह से मैंडजुकिच विश्व कप फाइनल में आत्मघाती गोल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गये। यह वर्तमान विश्व कप का रिकार्ड 12वां आत्मघाती गोल है।
पेरिसिच ने हालांकि जल्द ही बराबरी का गोल करके क्रोएशियाई प्रशंसकों और मैंडजुकिच में जोश भरा। पेरिसिच का यह गोल दर्शनीय था जिसने लुजनिकी स्टेडियम में बैठे दर्शकों को रोमांचित करने में कसर नहीं छोड़ी। क्रोएशिया को फ्री किक मिली और फ्रांस इसके खतरे को नहीं टाल पाया। मैंडजुकिच और डोमागोज विडा के प्रयास से गेंद भवगर पेरिसिच को मिली।
उन्होंने थोड़ा समय लिया और फिर बायें पांव से शाट जमाकर गेंद को गोल के हवाले कर दिया। फ्रांसीसी गोलकीपरी ह्यूगो लोरिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन इसके तुरंत बाद पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिल गयी। बाक्स के अंदर गेंद पेरिसिच के हाथ से लग गई। रेफरी ने वीएआर की मदद ली और फ्रांस को पेनल्टी दे दी।
अनुभवी ग्रीजमैन ने उस पर गोल करने में कोई गलती नहीं की। यह 1974 के बाद विश्व कप में पहला अवसर है जबकि फाइनल में मध्यांतर से पहले तीन गोल हुए। क्रोएशिया ने इस संख्या को बढ़ाने के लिये लगातार अच्छे प्रयास किये लेकिन फ्रांस ने अपनी ताकत गोल बचाने पर लगा दी।
इस बीच पोग्बा ने देजान लोवरान को गोल करने से रोका। क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में भी आक्रमण की रणनीति अपनायी और फ्रांस को दबाव में रखा। खेल के 48वें मिनट में लुका मोड्रिच ने एंटे रेबिच का गेंद थमायी जिन्होंने गोल पर अच्छा शाट जमाया लेकिन लोरिस ने बड़ी खूबसूरती से उसे बचा दिया।लेकिन गोल करना महत्वपूर्ण होता है और इसमें फ्रांस ने फिर से बाजी मारी। दूसरे हाफ में वैसे भी उसकी टीम बदली हुई लग रही थी।
खेल के 59वें मिनट में किलियान एमबापे दायें छोर से गेंद लेकर आगे बढ़े। उन्होंने पोग्बा तक गेंद पहुंचायी जिनका शॉट विडा ने रोक दिया। रिबाउंड पर गेंद फिर से पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने उस पर गोल दाग दिया। इसके छह मिनट बाद एमबापे ने स्कोर 4-1 कर दिया। उन्होंने बायें छोर से लुकास हर्नाडेज से मिली गेंद पर नियंत्रण बनाया और फिर 25 गज की दूरी से शाट जमाकर गोल दाग दिया जिसका विडा और सुबासिच के पास कोई जवाब नहीं था।
एमबापे ने 19 साल 207 दिन की उम्र में गोल दागा और वह विश्व कप फाइनल में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गये। पेले ने 1958 में 17 साल की उम्र में गोल दागा था। क्रोएशिया लेकिन हार मानने वाला नहीं था। तीन गोल से पिछडऩे के बावजूद उसका जज्बा देखने लायक था लेकिन उसने दूसरा गोल फ्रांसीसी गोलकीपर लोरिस की गलती से किया। उन्होंने तब गेंद को ड्रिबल किया जबकि मैंडजुकिच पास में थे।
क्रोएशियाई फारवर्ड ने उनसे गेंद छीनकर आसानी से उसे गोल में डाल दिया। इसके बाद भी क्रोएशिया ने हार नहीं मानी। उसने कुछ अच्छे प्रयास किए लेकिन उसके शाट बाहर चले गए। इस बीच इंजुरी टाइम में पोग्बा को अपना दूसरा गोल करने का मौका मिला लेकिन वह चूक गये। रेफरी की अंतिम सीटी बजते ही फ्रांस जश्न में डूब गया।

Related Articles

Stay Connected

15,780FansLike
2,290FollowersFollow
5,445SubscribersSubscribe

Latest Articles