भोपाल| एशियन चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी में पाकिस्तान को पटखनी देकर खिताब जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य अफ्फान यूसुफ मंगलवार को अपने शहर भोपाल पहुंचे। एयरपोर्ट पर परिवार के सदस्यों और साथी खिलाड़ियों की मौजूदगी में उनका जोरदार स्वागत हुआ। बतौर फारवर्ड खेलने वाले अफ्फान ने फाइनल में एक महत्वपूर्ण गोल भी किया था। उन्होंने अपने व टीम इंडिया के प्रदर्शन और पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले के माहौल को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा …
भारत-पाक हाई वोल्टेज मुकाबले में खास बात क्या रही?
देश में सभी लोग यही चाहते हैं कि हमारी जीत हो। पाकिस्तान के साथ मुकाबला मतलब करो या मरो का था। हमने लीग मैच में पाकिस्तान को हराया था। लिहाजा फाइनल में हमारा हौसला बुलंद था। हमने टीम मीटिंग में ही फैसला कर लिया था कि इमोशन को खुद पर हावी नहीं होने देना है। पहले हाफ में पाकिस्तान ने कुछ दबाव बनाया, लेकिन बाद हम भी खुल कर खेले। मैंने अपनी टीम के लिए गोल किया और हम दूसरी बार यह खिताब जीतने में सफल रहे।
क्या भारतीय टीम पर खिताब जीतने का दबाव था?
नहीं ऐसा नहीं था। हमारी तैयारियां बिल्कुल वैसी ही थीं जैसी हमारी रैंकिंग है। हमने देश के लिए प्रदर्शन किया। देश की जनता भी यही चाहती थी कि हम उनकी इच्छा का सम्मान करें। हमारा मानना है कि खेल में हार-जीत होती है। लेकिन इस बार हम उपविजेता नहीं चैंपियन बनना चाहते थे। इसका असर हमारे खेल में भी दिखा।
मैच के एक दिन पूर्व भारतीय टीम की क्या प्लानिंग रही?
हमने अपने टीम साथियों के साथ और कोच के साथ मिलकर सारी रणनीति तैयार की। कोच के साथ मीटिंग और हर हाल में मैच जीतने का संकल्प लिया था। किसी प्रकार के इमोशनल में नहीं आना है। बस जीत और सिर्फ जीत चाहिए थी।
पहली बार एशियन चैंपियंस ट्राफी में आपका अनुभव कैसा रहा?
देश के लिए खेलना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। टूर्नामेंट में मेरा बेहतरीन अनुभव रहा। सीनियर खिलाड़ियों ने हमेशा हौसला बढ़ाया। टीम के हर साथी ने अपना 100 प्रतिशत दिया। आगे भी मौका मिलने पर इसी तरह का प्रदर्शन करना चाहूंगा।
एयरपोर्ट पर पिता मो. यूसुफ और मां साजिदा के साथ अफ्फान यूसुफ।
हॉकी लीग का मिला फायदा
इसी माह 18 नवंबर से टीम ऑस्ट्रेलिया में खेलने जाएगी। इसके लिए अफ्फान यूसुफ 6 नवंबर को बेंगलुरू में कैंप के लिए रवाना होकर रिपोर्ट करेंगे। उन्होंने कहा हॉकी इंडिया के खेल में सुधार आया है। टीम के खिलाड़ी पहले से अच्छा खेल रहे हैं। हॉकी लीग से सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। विदेशी टीमों के साथ हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) खेलने से खिलाड़ियों के खेल में पहले की अपेक्षा काफी इंप्रूवमेंट आया है। अब किसी भी टीम के खिलाफ खेलने में जो डर पहले होता था वह अब नहीं रह गया। इसका सबसे बड़ा कारण एचआईएल है।