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Sunday, February 2, 2025

पूर्व बल्लेबाज एस बद्रीनाथ ने वीरेंद्र सहवाग के साथ अपनी बल्लेबाजी अनुभव के बारे में किया सनसनीखेज खुलासा

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज एस बद्रीनाथ ने वीरेंद्र सहवाग के साथ अपनी बल्लेबाजी अनुभव के बारे में बात की और बताया कि वो उनके सबसे अच्छे बैटिंग पार्टनर क्यों नहीं थे। सहवाग जब क्रिकेट खेलते थे तब उनकी आक्रामक क्रिकेट खेलने की शैली फेमस थी। वो किसी भी फॉर्मेट में नैचुरल गेम खेलते थे और इसकी वजह से गेंदबाज हमेशा उनके सामने दवाब में रहते थे। सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया था और 104 मैचों में उन्होंने 49.34 की औसत साथ ही 82.23 के शानदार स्ट्राइक रेट से 8586 रन बनाए थे। उन्होंने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर में 23 शतक और 32 अर्धशतक भी लगाए थे।

मेरे बेस्ट बैटिंग पार्टनर नहीं थे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सहवाग के साथ अपनी बल्लेबाजी अनुभव के बारे में बात की बद्रीनाथ ने कहा कि सहवाग एक ऐसे बल्लेबाज थे जिनके साथ कोई भी बैटिंग पार्टनर बनना चाहेगा, लेकिन मेरे साथ ये थोड़ा अलग था और वो मेरे सबसे बेहतरीन बैटिंग पार्टनर नहीं थे। इसकी वजह ये थी कि वो बहुत ही तेज गति से बल्लेबाजी करते थे। बद्री ने आगे कहा कि मैं थोड़ा तनाव में रहने वाला व्यक्ति हूं और हमेशा खुद से बहुत उम्मीद करता हूं, लेकिन सहवाग पूरी तरह से शांत रहते थे और ऐसा लगता था कि उन्हें कोई भी बात परेशान नहीं करती।

बद्री ने आगे कहा कि सहवाग ने इस तरह से बल्लेबाजी की जैसे कि उन्हें कोई परवाह नहीं है, लेकिन वास्तव में वो लापरवाह नहीं थे। एक आदर्श खिलाड़ी के लिए जिस तरह की मानसिकता होनी चाहिए वो सहवाग के पास थी। लोगों का ऐसा मानना था कि सहवाग किसी बात की परवाह नहीं करते थे, लेकिन ऐसा नहीं था और वो लापरवाह नहीं थे। लापरवाही और परवाह के बीच एक महीन रेखा होती है, लेकिन सहवाग ने उस संतुलन को पूरी तरह से हासिल कर लिया था और मुझे लगता है कि एक बल्लेबाज के लिए ये आदर्श मानसिकता होती है।

सहवाग के बारे में उन्होंने आगे कहा कि मुझे उनके साथ बल्लेबाजी करना पसंद है, लेकिन उनकी बल्लेबाजी की अत्यधिक आक्रामक शैली के कारण वह सर्वश्रेष्ठ जोड़ीदार नहीं थे। मुझे उनके साथ बल्लेबाजी करना बिल्कुल पसंद था, लेकिन वह मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ जोड़ीदार नहीं थे, क्योंकि जब मैं 20 रन पर होता तो वह पहले से ही 120 रन पर होते थे। जब तक वह अपना अर्धशतक पूरा करते, तब तक मैं शायद पवेलियन लौट चुका होता था। वह बस एक अलग गति से खेलते थे और उनके साथ खेलने का मैंने हमेशा आनंद उठाया।

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