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Saturday, April 19, 2025

गोपीचंद ने मुझे नीचा दिखायाः ज्वाला गुट्टा

नई दिल्ली। इंडिया की मशहूर डबल्स बैडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा ने कहा कि मैंने इंडिया में डबल्स बैडमिंटन का एक लेवल सेट किया लेकिन इंडिया में सिर्फ सिंग्लस खेलने वालों को ही तवज्जो दी जाती है। एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में ज्वाला ने कहा कि, “मैं ऐसा नहीं कहूंगी कि स्किल और स्पीड को लेकर कोई परेशानी है। आप इसे हमेशा आगे बढ़ा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ चाइनीज और कोरियन खिलाड़ी ही डबल्स खेल सकते हैं। दरअसल असली वजह ये है कि वहां उन्हें बेहतर ट्रीटमेंट और प्रोत्साहन मिलता है। डबल्स को चुनने से पहले वो एक बार भी सोचते नहीं हैं। लेकिन दुखद है कि इंडिया में हमें सोचना होता है। अब मैं ही वर्ल्ड नंबर 6 पर थी। अब अगर यही कोई सिंग्लस खिलाड़ी होता तो उसके ऊपर बहुत ध्यान दिया जाता और एक नंबर के तरफ बढ़ाया जाता।”

जब उनसे पुलेला गोपीचंद के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि पुलेला ने मुझे आगे बढ़ने के लिए कभी प्रोत्साहित नहीं किया और न ही कभी मेरे खेल को इंप्रूव करने के लिए कोई काम किया। “मुझे नहीं पता, मैं सिर्फ एक खिलाड़ी थी। मुझे इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि मैं कहां प्रैक्टिस करती हूं। चीफ कोच होने के नाते, उन्हें सिर्फ मुझ पर गर्व होना चाहिए और मुझे प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि मैं नंबर 1 हूं। मैं उन्हें सिर्फ इस वजह से ब्लेम करती हूं क्योंकि वो चीफ कोच थे और उस स्तर का खेल-खेल चुके हैं।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गुट्टा कहती हैं, “मुझे पहले दिन से टारगेट किया गया था। 2006 में मैं कॉमन वेल्थ गेम्स से लौटकर वापस आई थी, ये हमारा पहला अचीवमेंट था मिक्सड डबल्स का जब मैंने और डीजू ने वर्ल्ड नंबर 5 को हरा कर ब्रॉन्ज जीता था। फिर मैं लौट कर आती हूं और मुझे टीम से बाहर फेंक दिया जाता है।” इसके आगे वो कहती हैं कि गोपीचंद कभी भी इरिटेटिंग नहीं थे लेकिन हां उन्होंने मुझे नीचा दिखाया। लेकिन ज्वाला ने लगे हाथ गोपीचंद को इस बात का क्रेडिट भी दिया। उन्होंने कहा, “मैं ऐसा नहीं कहूंगी कि इरीटेटिंग। जब वो ऑल इंग्लैंड कप जीत कर वापस लौटे थे तब मैं एयरपोर्ट तक गई थी। मैं उस भीड़ में खड़ी थी हम चिल्ला रहे थे क्योंकि हम सबसे ज्यादा खुश थे। हमें लगा कि वो हमें प्रोत्साहित करेंगे, अब शायद हमें वो मिल सकेगा जो उन्हें शायद नहीं मिल सका था।” “मैं गोपीचंद को इस बात का क्रेडिट देती हूं कि जो उन्होंने देश के लिए किया, जो सिंगल मैडल्स वो दिलवा रहे हैं वो देशे के लिए ही है और मैं उन्हें इस बात का क्रेडिट देती हूं।”

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