नई दिल्ली: पंजाब के 25 साल के क्रिकेटर आशुतोष शर्मा ने मध्यप्रदेश से रेलवे में जाने के समय पर प्रकाश डाला। आशुतोष शर्मा ने कहा कि वो इस बदलाव के समय के दौरान डिप्रेशन में चले गए थे। याद दिला दें कि आशुतोष शर्मा ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ पंजाब के लिए मैच विनिंग पारी खेलकर सुर्खियां बटोरी। उन्होंने 17 गेंदों में 31 रन बनाए, जिसकी मदद से पंजाब किंग्स ने नरेंद्र मोदी स्टेडियम में गुजरात टाइटंस के खिलाफ 200 रन के लक्ष्य का सफल पीछा किया था।
आशुतोष शर्मा ने खुलासा किया कि वो मध्यप्रदेश के नए कोच के बर्ताव से हैरान थे जबकि उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था। इस वजह से वो डिप्रेशन में चले गए थे। राउंडटेबल बातचीत के दौरान आशुतोष ने खुलासा किया कि पिछले सीजन और सेलेक्शन ट्रायल में शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें मध्यप्रदेश टीम से बाहर कर दिया गया था, जिसके कारण वो काफी निराश थे। उन्होंने ध्यान दिलाया कि नए कोच उन्हें पसंद नहीं करते थे और मैदान में शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। पता हो कि कोलकाता नाइटराइडर्स के हेड कोच चंद्रकांत पंडित 2020 मे मध्यप्रदेश से कोच के रूप में जुड़े थे। मध्यप्रदेश 2021/22 सीजन में रणजी ट्रॉफी चैंपियन बना था।
आशुतोष शर्मा ने क्या कहा
2019 में, मैंने मध्यप्रदेश के लिए टी20 में आखिरी मैच में 84 रन बनाए थे। फिर नए कोच आए और वो मुझे पसंद नहीं करते थे। सेलेक्शन ट्रायल्स में मैंने 40-45 गेंदों में 90 रन बनाए, लेकिन जब सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए टीम की घोषणा हुई तो उसमें मेरा नाम नहीं था। उस समय मैं डिप्रेशन में चला गया था क्योंकि मैंने उस साल शानदार प्रदर्शन किया था। हमने अंडर-23 स्तर पर खेला, जहां चार मैचों में मैंने 200 रन बनाए।
रेलवे ने दिया साथ
आशुतोष शर्मा ने कहा कि उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उनकी गलती क्या है और वो नए कोच के अंतर्गत टीम सेट-अप से खासे परेशान रहे। शर्मा ने रेलवे का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने उनका बखूबी साथ निभाया। मध्यप्रदेश के रतलाम में जन्में आशुतोष ने नए कोच के साथ मतभेद के बाद रेलवे का रुख कियाा। आशुतोष शर्मा ने पिछले साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 11 गेंदों में अर्धशतक जमाकर युवराज सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा। पंजाब किंग्स ने आशुतोष शर्मा को उनकी बेस प्राइस 20 लाख रुपये में खरीदा था।
वो दर्दनाक किस्सा
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में हमारे छह मैच हुए और मैंने तीन में अर्धशतक जमाया। अगले साल पेशेवर कोच आए और मुझे बेंच पर बैठा दिया। तब कोविड का समय था। केवल 20 लोगों को यात्रा करने की अनुमति थी। मैं होटल में रहता था। तो मैं एक या दो महीने होटल में ही रहा। मैं डिप्रेशन में चला गया क्योंकि मैदान ही नहीं देखा। मैं बस जिम जाता और अपने कमरे में वापस लौट आता। इससे मैं चिढ़ गया था और डिप्रेशन में चला गया। मैं बस यह सोचता था कि अचानक क्या हुआ। मैंने क्या गलत किया। मुझे किसी ने नहीं बताया कि क्या गलती मैंने की। मैं बस नए सेट अप से हैरान था। मगर मैंने अभ्यास नहीं छोड़ा। मुझे फिर रेलवे में नौकरी मिल गई। उन्होंने मेरा काफी समर्थन किया। उन्होंने मुझे अंडर-25 और टी20 प्रारूप में मौका दिया। मैंने अच्छा प्रदर्शन किया। तो हां, दो-तीन साल मेरे लिए खराब रहे। मैं डिप्रेशन में था। मुझे रात में नींद नहीं आती थी। इससे उबरना मुश्किल था। मगर मुझे अपने ऊपर विश्वास था और मैं बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहा।