नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच एक बार फिर से टेस्ट सीरीज शुरू होने जा रही है। भारत और इंग्लैंड का क्रिकेट का रिश्ता भी काफी पुराना है। यही वजह है कि दोनों देशों के बीच टेस्ट सीरीज के दौरान कई ऐसे मौके आए, जब सीरीज यादगार बन गई। ऐसा ही कुछ साल 1993 में भी हुआ था। उसी सीरीज के दौरान भारत को एक उभरता हुआ क्रिकेटर मिला था, जो शायद सचिन तेंदुलकर से भी आगे जा सकता था, लेकिन अचानक उसका क्रिकेट करियर ही समाप्त हो गया। हम बात कर रहे हैं विनोद कांबली की।
विनोद कांबली ने साल 1993 में टेस्ट क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था। उस वक्त उनकी पहचान सचिन तेंदुलकर के स्कूली दोस्त के तौर पर थी। लेकिन कुछ ही मैचों के बाद विनोद की अपनी पहचान बनी। दरअसल विनोद कांबली ने 29 जनवरी 1993 का इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेला था। पहले मैच की दोनों पारियों में उनके बल्ले से 34 रन आए। इसके बाद दूसरे मैच में उन्होंने 59 रन बना दिए। लेकिन तीसरे मैच से सब कुछ बदल गया। विनोद कांबली ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए इस मैच में 224 रनों की पारी खेल दी थी। उस वक्त दोहरा शतक लगाना आम नहीं, बल्कि खास बात होती थी।
बात यहीं पर नहीं रुकी। अगले मैच में जब विनोद कांबली जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलने के लिए उतरे तो उन्होंने फिर से 227 रनों की पारी खेल दी थी। बैक टू बैक दो डबल सेंचुरी लगाकर विनोद कांबली नए स्टार बन चुके थे। दुनिया का कोई भी क्रिकेटर उनकी बराबरी पर नहीं था। लेकिन ये चकाचौंध और चांदनी कुछ ही दिन की थी। इस दो डबल सेंचुरी के बाद विनोद कांबली दो शतक लगाए, लेकिन फिर कभी उस तरह की पारी नहीं खेल पाए।
साल 1993 में डेब्यू करने वाले विनोद कांबली ने अपना आखिरी टेस्ट साल 1995 में खेल लिया था। धीरे धीरे विनोद गुममानी के अंधेरे में खोते चले गए और लोग उन्हें भूल गए। विनोद कांबली ने 17 टेस्ट खेलकर 1084 रन बनाए और इस दौरान उनका औसत 54.20 का रहा। उन्होंने चार शतक और 3 अर्धशतक लगाने का काम किया। विनोद कांबली अभी भी कभी कभी नजर आ जाते हैं। लेकिन अब वो बात नहीं है, जो उस वक्त हुआ करती थी।