नई दिल्ली: बंगाल के स्टार क्रिकेटर मनोज तिवारी ने क्रिकेट से संन्यास लेने के एक दिन बाद युवा क्रिकेटरों के आईपीएल-केंद्रित दृष्टिकोण को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने प्रतिभाशाली युवाओं के विकास के लिए संतुलित दृष्टिकोण की वकालत करते हुए रणजी ट्रॉफी पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। 2011 में चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 104 रनों की यादगार नाबाद पारी सहित 12 एकदिवसीय मैचों में 287 रन बनाने वाले मनोज तिवारी ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
मनोज तिवारी को शानदार प्रदर्शन के बावजूद चुनौतीपूर्ण दौर का सामना करना पड़ा। तब भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे। मनोज अगले 14 मैच नहीं खेल। वह भारत के लिए तीन टी-20 मैच भी खेले हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने शतक के बाद भी ड्रॉप होने पर कहा कि वह धोनी से इसका कारण जानना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनमें रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे स्टार बन सकते थे।
मनोज तिवारी ने क्या कहा?
मनोज तिवारी ने कोलकाता में कलकत्ता स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट्स क्लब में अपने सम्मान के मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ” मैं धोनी से पूछना चाहता हूं कि 2011 में शतक लगाने के बाद मुझे प्लेइंग इलेवन से बाहर क्यों कर दिया गया? मुझमें रोहित शर्मा, विराट कोहली की तरह हीरो बनने की क्षमता थी, लेकिन नहीं बन सका। आज जब मैं देखता हूं कि कई लोगों को टीवी पर अधिक अवसर मिल रहे हैं तो मुझे दुख होता है।”
रणजी ट्रॉफी को लेकर बयान पर लगा 20 प्रतिशत जुर्माना
मनोज तिवारी की बातें खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती हैं, जहां टी20 प्रारूप विशेष रूप से आईपीएल का कद बढ़ा है है। लगभग दो दशकों तक बंगाल क्रिकेट की सेवा करने वाले 38 वर्षीय मनोज तिवारी ने हाल ही में ट्विटर पर पोस्ट किया था कि रणजी ट्रॉफी को “समाप्त” कर दिया जाना चाहिए, लेकिन इस विषय पर विस्तार से नहीं बताया क्योंकि वह क्रिकेटर खेल रहे थे। उस टिप्पणी के लिए उन पर मैच फीस का 20 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया था। मैच के बीच में उन्होंने फेसबुक लाइव भी किया था, जहां उन्होंने कहा था कि वह संन्यास लेने के बाद खुलकर सामने आएंगे।