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Monday, December 23, 2024

IND vs AUS: MCG के क्यूरेटर ने बताया कैसी होगी भारत-ऑस्ट्रेलिया चौथे टेस्ट की पिच

नई दिल्ली: पांच मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी वर्तमान में 1-1 से बराबरी पर है। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों का 26 दिसंबर से शुरू होने वाले मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में चौथे टेस्ट में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल करने का लक्ष्य होगा। भारत ने पर्थ में 295 रनों की शानदार जीत के साथ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत की, लेकिन एडिलेड में डे नाइट टेस्ट में 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। ब्रिस्बेन के गाबा में तीसरा टेस्ट ड्रॉ पर समाप्त हुआ। ऐसे में मेलबर्न में होना वाला मुकाबला काफी दिलचस्प होगा। पर्थ की पिच को गति और उछाल के लिए जाना जाता है। एडिलेड में लाइट्स में पिंक बॉल खूब स्विंग हुई। गाबा में तेज और उछाल भरी पिच देखने को मिली। ऐसे में सभी की निगाहें एमसीजी की पिच पर है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड के क्यूरेटर मैट पेज ने मैच से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए पिच के बारे में बताया। पेज ने कहा है कि बीते कुछ सालों की तरह ही पिच होगी। गेंद और बल्ले में बराबर की जंग देखने को मिलेगी। पिच पर घास होने से तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी। गेंद पुरानी होने पर बल्लेबाज आसानी से रन बना पाएंगे। स्पिनर्स को फायदा नहीं मिलेगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, “मुझे लगता है कि पिछले कुछ सालों में हमने जो कुछ भी किया है, उससे हम वाकई खुश हैं। हमें इसमें बदलाव करने की कोई वजह नहीं दिखती। मुझे लगता है कि हमने अब तक तीन बेहतरीन पिचों पर तीन शानदार टेस्ट मैच देखे हैं। इसलिए हाल के वर्षों में हमने जो किया है वैसा ही कुछ करने की कोशिश करेंगे और एक रोमांचक मुकाबले की उम्मीद करनी है।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, “सात साल पहले पिच काफी सपाट थी। बतौर संगठन हमने फैसला किया कि हम और अधिक रोमांचक प्रतिस्पर्था और टेस्ट मैच बनाना चाहते हैं। इसलिए अब हम पिचों पर अधिक घास छोड़ते हैं। इससे गेंदबाजों को अधिक खेलने का मौका मिलता है, लेकिन नई गेंद के सॉफ्ट होने के बाद बल्लेबाजी भी अच्छी होगी। हम पिछले कुछ सालों से छह मिलीमीटर (घास की साइज) पर चल रहे हैं। हम आगे बढ़ते हुए इस पर नजर रखेंगे, लेकिन हाल ही में हम परिणामों से बहुत खुश हैं। इसलिए हमें अपना काम दोहराना है।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, “स्पिनर? ओह, यह टूटती नहीं है और स्पिन नहीं होता। यदि आप पिछले चार या पांच वर्षों में हमारे लंबे प्रारूप के मैचों को देखें, तो वे स्पिन की तुलना में सीम-अनुकूल अधिक रहे हैं। इसलिए मुझे यहां कोई बदलाव नहीं दिखता। हमने गेंदों की वजह से अपनी पिचों में कोई बदलाव नहीं किया है। जैसा कि मैंने कहा, हमने 2017 के बाद सात साल पहले हमारे संगठन ने चर्चा की थी कि हम क्या चाहते हैं और हम किस चीज के लिए जाना जाने चाहते हैं, ऐसे टेस्ट मैच बनाना जो एक रोमांच प्रदान करें।

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