नई दिल्ली: पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 में भारत का शानदार प्रदर्शन लगातार जारी है। इस इवेंट में सोमवार को भारतीय पैरालंपिक एथलीट योगेश कथुनिया ने भारत को 8वां मेडल दिलिया। योगेश ने डिस्कस थ्रो एफ 56 इवेंट में दूसरे स्थान पर रहते हुए भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। F56 वह स्पर्धा है जिसमें एथलीट बैठे हुए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
योगेश ने दूसरी बार भारत की तरफ से पैरालंपिक इवेंट में हिस्सा लिया और अपनी पिछली सफलता को उन्होंने फिर से दोहराया। योगेश ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स 2020 में भी भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था। पेरिस पैरालंपिक 2024 में उन्होंने डिस्कस थ्रो के फाइनल राउंड में 42.22 मीटर का थ्रो फेंका और दूसरे स्थान पर रहे। इस इवेंट में पहले नंबर पर ब्राजील के क्लाउडिनी बतिस्ता रहे जिन्होंने 46.86 मीटर थ्रो फेंका और गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
योगेश कथुनिया का जन्म 4 मार्च 1997 को बहादुरगढ़ में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में थे जबकि मां हाउस वाइफ थीं। 9 साल की उम्र में योगेश गिलियन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित हो गए थे। उन्होंने चंडीगढ़ के इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उनके पिता चंडीमंदिर छावनी में सेना में कार्यरत थे। उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी और फिर 3 साल के अंदार उन्होंने योगेश को फिर से चलने-फिरने के काबिल बना दिया। योगेश ने बाद में दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में एडमिशन लिया और वाणिज्य से ग्रैजुएशन किया।
2016 में किरोड़ीमल कॉलेज में छात्र संघ के महासचिव सचिन यादव ने उन्हें नियमित रूप से पैरा एथलीटों के वीडियो दिखाकर खेलों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जिसके बाद कथुनिया ने पैरा स्पोर्ट्स में कदम रखा। 2018 में उन्होंने बर्लिन में 2018 विश्व पैरा एथलेटिक्स यूरोपीय चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो को 45.18 मीटर तक फेंककर F36 श्रेणी में विश्व रिकॉर्ड बनाया। कथुनिया ने 2020 के समर पैरालिंपिक में पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 में भारत का प्रतिनिधित्व किया और रजत पदक जीता। 2021 नवंबर में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 2020 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने के लिए कथुनिया को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।