नई दिल्ली: रणजी ट्रॉफी का पहला सेमीफाइनल शुक्रवार (21 फरवरी) में निर्णायक मोड़ पर था। गुजरात को फाइनल में पहुंचने के लिए 3 रन चाहिए थे। वहीं केरल को फाइनल में जगह बनाने के लिए 1 विकेट चाहिए था। गुजरात के 10वें नंबर के बल्लेबाज अर्जन नागवासवाला ने स्लॉग-स्वीप खेला। गेंद सिली पॉइंट पर सलमान निजर के हेलमेट से टकराई और फिर पहली स्लिप में कप्तान सचिन बेबी के हाथों में चली गई।
गुजरात के खिलाफ 2 रन की बढ़त से केरल को फाइनल में जगह बनाने में मदद मिली। केरल 352 रणजी मैच खेलने के बाद फाइनल में पहुंचा। केरल की टीम को ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज खिलाड़ी फिल ह्यूज की मौत के कारण बने नियम से फायदा मिल गया। आउट होने का यह तरीका इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल द्वारा 2017 में लागू किया गया था। इसके तहत बल्लेबाज को करीबी फील्डिर द्वारा पहने गए हेलमेट पर गेंद लगने के बाद कैच, स्टंप या रन आउट दिया जा सकता है।
फिलिप ह्यूज की मौत के बाद की गई समीक्षा में सिफारिश की गई थी कि तेज और मध्यम गति की गेंदबाजी का सामना करने वाले बल्लेबाजों, स्टंप के पास खड़े विकेटकीपर और बल्लेबाज के करीब खड़े फील्डर (स्लिप के फील्डर्स को छोड़कर) के लिए उच्च मानक वाले हेलमेट अनिवार्य होने चाहिए। यह बदलाव एमसीसी की वर्ल्ड क्रिकेट कमिटी की सुझाव के बाद आया।
इस कमिटी में रिकी पोंटिंग, कुमार संगकारा और सौरव गांगुली जैसे लोग शामिल थे। उन्होंने यह निर्धारित किया कि गेंद के फील्डर द्वारा पहने गए हेलमेट से टकराने के बाद कैच और स्टंपिंग की अनुमति दी जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कमिटी ने बयान में कहा, ” ऐसा माना जाता है कि फील्डर के हेलमेट से रिबाउंड होने वाली गेंद फील्डिंग कर रही टीम की मदद या बाधा दोनों पहुंचा सकती है। इसलिए यह सुझाव कि हेलमेट से रिबाउंड होने वाली गेंदें कैच को आसान बनाती हैं को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।”