गोवा
गोवा नेशनल गेम्स में मध्यप्रदेश की लड़कियों की हॉकी टीम ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। गोवा में बुधवार, 8 अक्टूबर को हुए फाइनल मुकाबले में एमपी टीम ने हरियाणा को पेनाल्टी शूट आउट में 3-0 से परास्त किया। इसी के साथ भारतीय हॉकी इतिहास में एमपी विमेंस टीम ने पहली बार नेशनल गेम्स में खिताबी जीत दर्ज की है। हालांकि, एमपी की मेंस टीम अब तक नेशनल गेम्स में लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी है। नेशनल गेम्स में देश की टॉप 8 टीमों को एंट्री मिलती है। एमपी की विमेंस टीम पिछले नेशनल गेम्स (गुजरात) में ब्रांज मेडल जीत सकी थी। यानी इस बार विमेंस टीम ने ब्रांज मेडल को गोल्ड में बदल दिया है।
75 साल में पहली बार एमपी की विमेंस टीम बनी चैंपियन
नेशनल गेम्स का इतिहास भी आजाद भारत की तरह है। यानी पहले नेशनल गेम्स 1948 में लखनऊ में हुए थे। गोवा में खेलों का यह 37वां संस्करण है यानी 37वें नेशनल गेम्स हो रहे हैं। जिसमें मध्यप्रदेश की विमेंस टीम ने पहली बार गोल्ड मेडल जीता है। यानी 75 साल में पहली बार एमपी विमेंस टीम चैंपियन बनी है।
एमपी ने फाइनल में हरियाणा को हराया
गोवा के हॉकी ग्राउण्ड स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स पीडल मुपासा पर खेले गए फाइनल मुकाबले में एमपी और हरियाणा की टीम निर्धारित 60 मिनट के खेल में बिना गोल के बराबर रही। इसके बाद पेनाल्टी शूट आउट से हुए मुकाबले में एमपी ने 3-0 से परास्त किया। टीम में गोलकीपर याशिका भदौरिया को प्रदर्शन शानदार रहा। याशिका हॉकी इंडिया जूनियर नेशनल विमेंस चैंपियनशिप की विजेता एमपी टीम की भी गोलकीपर थीं। इससे पहले सेमीफाइन मुकाबला भी काफी संघर्षपूर्ण रहा। जिसमें एमपी टीम ने झारखंड को पेनाल्टी शूटआउट में 2-1 से हराया। एमपी विमेंस टीम की कोच वंदना उइके ने बताया कि अधिकतर मुकाबले बराबरी के थे। टीम की लड़कियों ने हर मैच में शानदार प्रदर्शन किया। टीम की गोलकीपर याशिका भदौरिया ने आउटस्टैंडिंग परफॉरमेंस दिखाया।
गुजरात और झारखंड नेशनल गेम्स में जीता था ब्रांज मेडल
एमपी विमेंस टीम ने पिछले साल गुजरात में हुए 36वें नेशनल गेम्स-2022 में ब्रांज मेडल जीता था। इसके अलावा 2011 में झारखंड में हुए 34वें नेशनल गेम्स में भी एमपी को ब्रांज मेडल से संतोष करना पड़ा था। केरल में 2015 में हुए 35वें नेशनल गेम्स में टीम क्वालीफाई नहीं कर सकी थी। साथ ही इससे अलावा नेशनल गेम्स में एमपी कभी क्वालीफाई नहीं कर सका।