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Saturday, February 22, 2025

चोट से उबरे और धारदार गेंदबाजी से झटके विकेट, मोहम्मद शमी ने बताया अपनी सफलता का राज

दुबई: भारत ने अपने चैम्पियंस ट्रॉफी अभियान का जोरदार आगाज किया है. बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले में मोहम्मद शमी ने अपनी धारदार गेंदबाजी से 5 विकेट झटके, जिसकी मदद से भारत ने 6 विकेट से जीत दर्ज की. वह 200 वनडे विकेट तक सबसे तेजी से (सबसे कम गेंदों में ) पहुंचने वाले गेंदबाज भी बन गए. शमी को 2023 वनडे विश्व कप के दौरान टखने में चोट लगी थी, जिसके बाद वह 14 महीने तक क्रिकेट से दूर रहे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज के जरिये वापसी की और अब जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय आक्रमण की कमान संभाल रहे हैं.

हर हाल में चाहिए विकेट

चोट के कारण क्रिकेट से दूर रहने का कठिन दौर पीछे छोड़कर आए 34 साल के मोहम्मद शमी ने अपनी सफलता का राज बताया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि बारीकियों पर काम करने और अपने कौशल के प्रति वफादार रहने से उन्हें आईसीसी टूर्नामेंटों में कामयाबी मिलती है, जिसमें उनका फोकस किफायती गेंदबाजी पर नहीं, बल्कि विकेट लेने पर रहता है. शमी ने बांग्लादेश के खिलाफ मैच में 53 रन देकर 5 विकेट हासिल किए. उन्होंने मैच के बाद कहा,‘आईसीसी टूर्नामेंटों में अगर मेरी गेंदों पर रन भी बनते हैं तो चलता है. लेकिन विकेट मिलने चाहिए. उसी से टीम को फायदा होगा. मैं हमेशा यही सोचता रहता हूं.’ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शमी ने कहा,‘मैं अपने फन को पूरी वफादारी से निखारने की कोशिश करता हूं. आप अपने कौशल के प्रति कितने वफादार हैं या अपने लक्ष्य को पाने की कितनी भूख आपके भीतर है. आप कैसे लय हासिल कर सकते हैं. भूख होना जरूरी है.’

चीजों पर ध्यान देता हूं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि वह हमेशा बारीकियों पर काम करते आए हैं, जिससे उन्हें मदद मिलती है.उन्होंने कहा, ‘लय सही होनी जरूरी है. गेंदबाजी करते समय असहज तो नहीं हैं. मैं इन चीजों पर ध्यान देता हूं. नतीजे पर ध्यान नहीं देता. वर्तमान पर फोकस रहता है और जरूरत के हिसाब से गेंदबाजी करता हूं.’ वनडे क्रिकेट में छठी बार 5 विकेट लेने वाले शमी ने बताया कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत को हारते देख वह कितने दुखी थे जब बुमराह ने अकेले दम पर गेंदबाजी का जिम्मा संभाल रखा था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा,‘यह काफी कठिन था. जब आप टीम को इस तरह देखते हैं या कोई करीबी मुकाबला होता है तो आप अपने साथ गेंदबाजी करने वाले को,अपनी टीम को याद करते हैं. मुझे ऐसा लग रहा था कि काश मैं वहां होता. मैं कुछ योगदान दे पाता.’

लगा कि कभी खेल नहीं सकेंगे

शमी ने कहा कि चोट से वह इस कदर टूट चुके थे कि एकबारगी उन्हें लगा कि अब वह कभी खेल नहीं सकेंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि पिछले साल के आखिर में घरेलू क्रिकेट में वापसी करके उनका आत्मविश्वास फिर लौटा. पाकिस्तान के खिलाफ मैच को लेकर हाइप के बारे में उन्होंने कहा ,‘उसी मानसिकता से खेलना अहम है जिससे जीत मिली है. आईसीसी टूर्नामेंट या किसी अंतरराष्ट्रीय मैच विशेष के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है.’

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