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Sunday, May 18, 2025

नीले रंग के सैलाब से पट गया मोटेरा

अहमदाबाद.
विश्व कप के महा मुकाबले के लिए चर्चा तो एक दिन पहले ही अपने चरम पर पहुंच गई थी और मैच के दिन सुबह से ही मोटेरा की तरफ जाने वाली हर सड़क नीले रंग के सैलाब से पट गई थी। क्रिकेट जगत की निगाहें अहमदाबाद शहर पर टिकी थी जहां भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विश्व कप का फाइनल मैच खेला जाना था। सुबह से ही ऐसा लग रहा था जैसे मानो पूरा शहर एक ही दिशा में आगे बढ़ रहा है। अहमदाबाद की सड़कें ऊर्जा और उत्साह से लबरेज थी।

नरेंद्र मोदी स्टेडियम की तरफ बढ़ रहे प्रशंसकों ने भारतीय टीम की नीली जर्सी पहन रखी थी और उनके हाथों में भारतीय ध्वज था। वे भारत की जीत की उम्मीद के साथ मस्ती में आगे बढ़े जा रहे थे। मोटेरा की तरफ बड़ी धीमी गति से यातायात आगे बढ़ रहा था लेकिन स्टेडियम के पास पहुंचने पर वह थम गया। अगर आपके वाहन पर वीआईपी कार पार्किंग का लेवल नहीं चिपका हुआ है तो फिर आप एक भी इंच टस से मस नहीं हो सकते।

सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई थी क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई उप प्रधान मंत्री रिचर्ड मार्ल्स भी मैच के दौरान उपस्थित होंगे। अहमदाबाद शहर फाइनल के लिए तैयार था और यह तय हो गया था कि 132000 दर्शकों की क्षमता वाले नरेंद्र मोदी स्टेडियम में एक इंच जगह खाली नहीं रहेगी। स्टेडियम की तरफ जाने वाली प्रत्येक सड़क पर भारतीय जर्सी बेची जा रही थी।

हार्दिक पंड्या का नन्हा प्रशंसक हेटविक ऐसी जर्सी चाहता था जिसके पीछे पंड्या लिखा हो, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगती है। जर्सी बेच रहे कयामुद्दीन ने कहा,, ‘‘केवल विराट, रोहित, मैक्सवेल और वार्नर के नाम की जर्सी उपलब्ध हैं।’’ शीतल बेन के लिए तो यह फाइनल भगवान की देन है। उनके पति बीमार हैं और वह इसी तरह छोटे-मोटे काम करके अपनी आजीविका चला रही है।

उन्होंने कहा,‘‘मैं विराट कोहली के नाम वाली कम से कम 200 से 260 जर्सी बेच चुकी हूं। इसके अलावा रोहित के नाम वाली 150 जर्सी बेच चुकी हूं। भारतीय टीम की टोपी की भी बड़ी मांग है। भारत और पाकिस्तान के मैच के दौरान मैंने तीन दिन मे 30000 रुपए की कमाई की। टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद इतनी कमाई करने में मुझे छह महीने लग जाएंगे। विराट और रोहित के लिए शुभकामना। उनकी वजह से मेरा घर चल रहा है।’’

फाइनल मैच के कारण होटलों के किराए भी आसमान छू रहे हैं। कुछ प्रशंसकों ने तो अहमदाबाद रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षा कक्ष में रात बिताई क्योंकि उनके पास होटल में एक रात बिताने के लिए 15000 रुपए नहीं थे। यह सबसे सस्ते होटल का भी एक रात का किराया है। एक प्रशंसक ने कहा,‘‘सब बहती साबरमती में हाथ धो रहे हैं।’’

 

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