भोपाल।म.प्र. उच्च न्यायालय ने म.प्र. बैडमिंटन संगठन की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें रजिस्र्ड फर्म एवं सोसायटी मप्र द्वारा संगठन के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने एवं मप्र बैडमिंटन संगठन के बैंक खाते को सील करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।अब मामला रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी के ही पाले में आ गया है। रजिस्ट्रार भोपाल ने 9 दिसंबर 2016 की सुनवाई की तारीख याचिकाकर्ता की अनुपस्थिति में 25 फरवरी 2017 कर दी है। कार्यकाल समाप्ति के बावजूद ये ही पदाधिकारी कैसे अब भी गतिविधि संचालित कर रहे? बीएआई उन्हें क्यों शह दे रहा।
मप्र उच्च न्यायालय के माननीय न्यायधीश संजय यादव ने 23 सितंबर 2016 को मप्र बैडमिंटन संगठन की याचिका खारिज करते हुए वादी को रजिस्टर्ड फम्र्स एवं सोसायटी में अपील करने के लिए 15 दिन का समय दिया। मप्र बैडमिंटन संगठन ने 9 मार्च 2016 को याचिका उच्च न्यायालय, जबलपुर में दायर की थी। उच्च न्यायालय ने इंटरविनर के रुप में राष्ट्रीय बैडमिंटन अंपायर जबलपुर के संजय पांडे के पक्ष को भी सुना। मप्र बैडमिंटन संगठन के वकील ने अदालत से संगठन के बैंक खाते को चालु करने का आग्रह किया जिसको भी मप्र उच्च न्यायालय ने नहीं माना।
रजिस्ट्रार, रजिस्टर्ड फम्र्स एवं सोसायटी भोपाल ने 22 अक्टूबर 2016 को मप्र बैडमिंटन संगठन से इस्तीफा दे चुके सचिव अनिल चौधुले और सह सचिव भोपाल के जयसिंह उपस्थित हुए। उन्होंने अपील की सुनवाई जल्दी करने और बैंक खाता चालू करने का निवेदन किया, जिसे रजिस्ट्रार ने मान्य नहीं किया। संजय पांडे ने इंटर विनर बनने के लिए आवेदन किया। अगली सुनवाई की तारीख 9 दिसंबर 2016 को मप्र बैडमिंटन संगठन की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। संजय पांडे इंटरविनर के रुप में उपस्थित हुए, लेकिन रजिस्ट्रार ने पक्षकार के अनुपस्थित रहने से उनका पक्ष भी नहीं सुना। अगली तारीख 25 फरवरी 2017 दे दी है।
मप्र बैडमिंटन संगठन का पंजीयन रजिस्टर्ड फम्र्स एवं सोसायटी द्वारा रद्द करने एवं इंदौर जिला कलेक्टर द्वारा बैंक खाता सील करने के बावजूद भी अब भी पूर्व पदाधिकारी ही संगठन की गतिविधि संचालित कर रहे हैं। संगठन सचिव गिरीश केमकर के नाम से पूर्व सचिव अनिल चौधुले ही काम संभाले हुए हैं। मप्र बैडमिंटन संगठन के मनोनीत अध्यक्ष हेमेंद्र सिंह पवार और सचिव गिरीश केमकर तो किसी भी राज्य स्पर्धा (मंदसौर, सारणी- जिला बैतूल और कटनी) में नहीं गए, जबकि कामकाज उन्हीं के नाम से हो रहा है। अनिल चौधुले पश्चिम क्षेत्र अंतर राज्य टीम बैडमिंटन स्पर्धा- उज्जैन (29 दिसंबर से 2 अक्टूबर 2016) में स्वयं ही स्पर्धा सचिव बन गए जब कि वे अब किसी भी जिला व राज्य संगठन में नहीं है। वे भाई-भतीजेवाद से काम कर रहे हैं। बिना किसी बैठक और सूचना के अपनी मर्जी से राज्य स्पर्धाओं का आवंटन कर दिया और कर रहे हैं।
रीवा में 6 से 9 जनवरी तक चंद्रशेखर सिंह स्मृति मप्र राज्य सीनियर बैडमिंटन स्पर्धा कराई जा रही है। सर्वाधिक सक्रिय जिला संगठन इंदौर जिला बैडमिंटन एसो. ने मप्र राज्य सीनियर, मास्टर्स और पश्चिम क्षेत्र अंतर राज्य स्पर्धा मांगी थी, लेकिन उन्हें कोई स्पर्धा नहीं दी गई। मप्र टीम चयन, रैफरी व अंपायर्स मनोनयन में भी मनमानी की जा रही है। बिना किसी सर्कूनर व सूचना के अंपायर परीक्षा कटनी में आयोजित कर दी गई। खिलाडिय़ों को नियमानुसार टीए, डीए भी नहीं दिए जा रहे हैं।प्लेयर्स कन्शेसन उपलब्क्ष नहीं करवा रहे और फिर भी किराया कन्शेसनल दिया जा रहा। स्पर्धा के दौरान ही ड्रॉ व सीडिग बदल देते हैं। जिला ईकाई की अनुमति के बिना सीधे प्रविष्टियां लेकर भी मनमानी की जा रही जिससे सभी परेशानी हैं। जिस वजह से उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान पदाधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ा वे जिला ईकाई में अब भी बने हुए हैं। और एसोसिएशन कैसे चला रहे। बीएआई (भारतीय बैडमिंटन संगठन) और रजिस्ट्रार फम्र्स सोसायटी को कार्रवाई करना चाहिए।