भोपाल। पांच बार की वर्ल्ड चैंपियन मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम एक बार फिर एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीतने की तैयारी कर रहीं हैं। 34 साल की उम्र के बाद भी इस मुक्केबाज ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। बीते दिनों मैरीकॉम ने दिल्ली के आईजी स्टेडियम में आयोजित एशियन चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम के ट्रायल में हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं इस मुक्केबाज ने छह फाइट भी जीती हैं। साई भोपाल में वर्ल्ड यूथ वूमेन बाक्सिंग चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम चुनने आई इस मुक्केबाज कहा कि, बीते दिनों हुए ट्रायल काफी मुश्किल थे, इसमें मुझे छह फाइटें करनी पड़ी। मेरे हिसाब से ट्रायल में दिन में एक ही फाइट होनी चाहिए। बॉक्सिंग इंडिया के ट्रायल में खिलाड़ियों को चार-चार फाइटें करनी पड़तीं हैं। ऐसे में बहुत थकान हो जाती है और रिकवरी का समय नहीं मिल पाता।
अपनी तैयारियों के संबंध में उन्होंने कहा कि मुझे ओलिंपिक पदक विजेता मैरीकॉम न समझें। मैने नई शुरुआत की है। जो एक बार फिर एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और टोक्यो में तमगे के रंग बदलने तक चलेगी। एक सवाल के जवाब में इस महिला मुक्केबाज ने प्रोफेशनल मुक्केबाजी में आने के संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि दोनों ही खिलाड़ियों के लिए बेहतर विकल्प है। पहले एमेच्योर मुक्केबाजी में प्राइज मिनी, स्पॉन्सरशिप और सपोर्ट की कमी होती है लेकिन जब आप विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में मैडल्स जीतने लगते हैं तो आपको सरकार का सपोर्ट भी मिलने लगता है और नौकरी भी। जहां तक प्रोफेशनल की बात है तो प्रोफेशनल मुक्केबाजी में पैसा अच्छा है। नए मुक्केबाज एमेच्चोर और प्रोफेशनल दोनों में अपना करियर बना सकते हैं। अब तो प्रोफेशनल मुक्केबाजों को ओलिंपिक में भी प्रवेश मिलता है। पहले प्रोफेशनल मुक्केबाज बनने के बाद एमेच्याेर बॉक्सिंग का विकल्प नहीं बचता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।
पिछले साल ठुकराया दो करोड़ का प्रस्ताव: इस मुक्केबाज ने बताया कि पिछले साल मेरे पास भी प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए दो करोड़ का प्रस्ताव आया था, लेकिन तब मुझे इसके बारे में इतनी जानकारी नहीं थी और प्रोफेशनल से ऐमेच्योर बॉक्सिंग में आने के रास्ते भी नहीं थे। इसलिए मैनें वह ऑफर ठुकरा दिया। यदि आगे ऐसा कोई प्रस्ताव मिलता है तो उसे स्वीकार कर सकती हूं।