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Sunday, April 20, 2025

Paralympics 2024: दीप्ति जीवनजी ने देश को पैरालंपिक खेलों में दिलाया 16वां मेडल, जीता ब्रॉन्ज

नई दिल्ली: भारतीय एथलीट दीप्ति जीवनजी ने मंगलवार को देश को पैरालंपिक खेलों में 16वां मेडल दिलाया। दीप्ति ने 400 मीटर के T20 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह भारत का एथलेटिक्स के ट्रैक इवेंट में तीसरा मेडल है। इससे पहले दीप्ति पाल ने 100 मीटर और 200 मीटर में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

दीप्ति जीवनजी ने 55.82 सेकंड का समय निकालकर रेस पूरी की। इवेंट का सिल्वर मेडल यूक्रेन की शुलिया यूलिया के नाम रहा जिन्होंने 55.16 सेकंड का समय निकाला। वहीं तुर्किए ने एसेल ओनडर ने 55.23 सेकंड के समय के साथ सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

हीट्स में किया था बेहतर प्रदर्शन
जीवानजी ने फाइनल से बेहतर समय हीट्स में निकाला था। वह हीट्स में 55.45 का समय निकालकर पहले स्थान पर रही थीं। गोल्ड जीतने वाली शुलियर भी उनकी ही हीट में शामिल थीं। शुलियर 56.49 सेकंड के समय के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। इसी साल ही जापान के कोबे में आयोजित वर्ल्ड पैरा चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। दीप्ति जीवनजी को बीते साल हुए एशियन गेम्स में एशियाई पैरा रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता था।

भारत के खाते में 16 मेडल
पैरालंपिक 2024 में दीप्ति के ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ ही भारत के खाते में अब 16 मेडल हो गए हैं। 16 मेडल में 3 गोल्ड मेडल, 5 सिल्वर और 8 ब्रॉन्ज मेडल हैं। वहीं एथलेटिक्स में सुमित अंतिल ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीता, वहीं निषाद कुमार और योगेश कथुनिया सिल्वर मेडल अपने नाम कर चुके हैं।

तेलंगाना के वारंगल जिले के कल्लेडा गांव के खेतिहर मजदूर की बेटी दीप्ति को स्कूल स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उनके एक शिक्षक द्वारा देखे जाने के बाद बौद्धिक रूप से कमजोर होने का पता चला। बड़े होने पर उनकी इस कमजोरी के कारण उन्हें और उनके माता-पिता को उनके गांव के लोगों के ताने सुनने पड़े। हालांकि पिछले साल एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण जीतने और इस साल मई में पैरा विश्व चैंपियनशिप में विश्व रिकॉर्ड तोड़कर एक और स्वर्ण पदक जीतने के बाद से यही गांव जश्न मना रहा है।

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