नई दिल्ली: भारतीय एथलीट ज्योति याराजी पेरिस ओलंपिक में अपना दम दिखाने के लिए तैयार हैं। 26 जुलाई से शुरू होने वाले पेरिस खेलों में ज्योति 100 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लेंगी और ऐसा करने वाली देश की पहली खिलाड़ी बन जाएंगी। ज्योति ने कहा कि वह इन खेलों में अपनी मां की सकारात्मक सोच से प्रेरित होकर शानदार प्रदर्शन करना चाहेंगी। ज्योति की मां विशाखापत्तनम में एक स्थानीय अस्पताल में सफाईकर्मी और घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती हैं।
विश्व रैंकिंग कोटे से ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली याराजी की कोशिश अपनी मां कुमारी के अभी तक के सारे संघर्षों को खत्म करने की होगी। याराजी ने कहा, पहले मैं अपनी व्यक्तिगत जिंदगी, अपने परिवार और पृष्ठभूमि को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहती थी, लेकिन मैंने काफी कुछ सीखा है। कभी कभार मेरी हालत बहुत खराब होती। मेरी मां हमेशा मुझे कहती कि आगे बढ़ते रहो क्येांकि हम वर्तमान, अतीत और भविष्य को नहीं रोक सकते। मेरी मां ने मुझे कहा कि तुम अपने लिए काम करो, कोई भी नतीजा रहे, हम इसे स्वीकार करेंगे।
मेरी मां प्रतियोगिता से पहले मुझे कभी नहीं कहतीं कि पदक जीतो या फिर स्वर्ण पदक जीतो। वह मुझसे कहतीं कि जाओ स्वस्थ रहो और जो भी मैं करूं उसमें संतुष्ट रहूं। इसलिए मैं हमेशा सकारात्मक सोच से आगे बढ़ती हूं। याराजी ने अपने कोच जेम्स हिलियर का जिक्र करते हुए कहा, पहले मेरे पास अच्छी टीम नहीं थी। अब मेरे साथ बहुत सारे सकारात्मक लोग हैं। इससे मुझे काफी मदद मिल रही है। मैं हमेशा सकारात्मक रहती हूं। मैं सकारात्मक सोच से नकारात्मकता को दूर करती हूं।
याराजी का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 12.78 सेकेंड का है और वह मानती हैं कि ओलंपिक पदार्पण में उन पर काफी दबाव होगा लेकिन वह ध्यान लगाकर शांत बने रहने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, मुझे ओलंपिक में खेलने का अनुभव नहीं है लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि ये अच्छे रहेंगे। मुझे एशियाई चैंपियनशिप, एशियाई खेल और विश्व चैंपियनशिप का अनुभव है। मुझे उम्मीद है कि इनसे मिले अनुभव का ओलंपिक में फायदा उठाऊंगी।