नागपुर: विदर्भ ने फाइनल में केरल को हराकर रणजी ट्रॉफी खिताब जीत लिया है। केरल और विदर्भ के बीच नागपुर में खेले गया यह मुकाबला पांचवें और अंतिम दिन ड्रॉ पर समाप्त हुआ, लेकिन विदर्भ ने केरल को पहली पारी के बढ़त के आधार पर मात दी और इस घरेलू टूर्नामेंट का चैंपियन बनने में सफल रहा। विदर्भ का यह तीसरा रणजी ट्रॉफी खिताब है।
विदर्भ ने इससे पहले 2017-18 और 2018-19 में खिताब जीता था। यह पिछले साल वर्षों में विदर्भ का तीसरा खिताब है। विदर्भ ने पहली पारी में दानिश मालेवार के 153 रन और करुण नायर के 86 रनों की मदद से 379 रन बनाए थे, लेकिन केरल की टीम ने पहली पारी में कप्तान सचिन बेबी के 98 रनों की पारी के बावजूद 342 रन बनाए। इस तरह विदर्भ ने पहली पारी में 37 रनों की बढ़त हासिल की। विदर्भ के लिए दूसरी पारी में करुण नायर ने शतक लगाया और 135 रनों की पारी खेली। वहीं, दर्शन नालखंडे ने नाबाद 51 रन बनाए। दिन का खेल खत्म होने तक विदर्भ ने दूसरी पारी में नौ विकेट पर 375 रन बनाए। जैसे ही नालकंडे ने अर्धशतक लगाया, मैच समाप्त करने की घोषणा कर दी गई।
विदर्भ ने अंतिम दिन 249/4 स्कोर के आगे खेलना शुरू किया। करुण नायर ने 132 और कप्तान अक्षय वाडकर ने चार से आगे खेलना शुरू किया। करुण हालांकि, अपने स्कोर में सिर्फ तीन रन का ही इजाफा कर सके और उन्हें आदित्य सरवटे ने पवेलियन भेजा। इसके कुछ देर बाद ईडेन एप्पल ने ने हर्ष दुबे को आउट किया जो चार रन बनाकर आउट हुए। फिर सरवटे ने आदित्य (25) को आउट कर विदर्भ को सातवां झटका दिया।
अक्षय कार्नेवर और नालकंडे ने आठवें विकेट के लिए 48 रनों की साझेदारी की जिससे विदर्भ का स्कोर 300 के पार पहुंचा। कार्नेवर हालांकि 70 गेंदों पर 30 रन बनाकर आउट हुए और फिर सरवटे ने नचिकेत भुटे (3) को अपना शिकार बनाकर विदर्भ के नौ विकेट गिरा दिए। अंत में नालकंडे के अलावा यश ठाकुर आठ रन बनाकर नाबाद रहे। केरल की ओर से सरवटे ने चार विकेट झटके, जबकि निधेश, जलज सक्सेना, एप्पल, बासिल और अक्षय चंद्रन को एक-एक विकेट मिला।
पहली बार फाइनल में पहुंची केरल की टीम ने भी कड़ी टक्कर दी, लेकिन विदर्भ को पूरे सत्र में अपनी कड़ी मेहनत और अनुशासन का फल मिला। इस दौरान उन्होंने सिर्फ रणजी ट्रॉफी ही नहीं जीती बल्कि टीम 50 ओवर की विजय हजारे ट्रॉफी में उपविजेता भी रही। विदर्भ की यह जीत अब उन्हें भारतीय घरेलू क्रिकेट में सबसे मजबूत टीमों में से एक बनाती है क्योंकि वह पिछले रणजी सत्र में उपविजेता रही थी। अक्षय वाडकर की कप्तानी और मुख्य कोच उस्मान गनी की अगुआई वाली टीम ने पूरे रणजी ट्रॉफी सत्र में प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
विदर्भ लीग चरण में सभी चार ग्रुप में सर्वश्रेष्ठ टीम रही, जिसने सात मैच में से छह जीत के साथ 40 अंक हासिल किए। वहीं केरल को किस्मत का साथ मिला जिसने नॉकआउट में जम्मू और कश्मीर (क्वार्टर फाइनल) और गुजरात (सेमीफाइनल) को मामूली अंतर से हराकर पहली पारी की बढ़त के आधार पर फाइनल तक का सफर तय किया। लेकिन विदर्भ ने जीत के जरिए फाइनल में जगह बनाई। विदर्भ ने इस सत्र में रणजी ट्रॉफी में खेले गए 10 मैच में से नौ में जीत हासिल की जो भारत की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता में टीम के प्रभुत्व को दर्शाता है।