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Thursday, April 10, 2025

अमन सहरावत के ओलंपिक मेडल जीतने में सागर का बड़ा हाथ, कौन हैं सागर फलसवाल

नई दिल्ली: रक्षाबंधन के मौके पर पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले देश के एकमात्र पहलवान अमन सहरावत झज्जर के मुंडा खेड़ा गांव में थे। अमन अपने सीनियर और छत्रसाल अखाड़े में रूममेट सागर फलसवाल के घर आए थे। सागर की बहन प्रियंका ने अमन और सागर दोनों की कलाई पर राखी बांधी। मेन्यू में दाल, रोटी, सब्जी और चूरमा था। दोनों पहलवानों ने साथ बैठकर घर के बने खाने का लुत्फ उठाया। जब 21 वर्षीय अमन ने इस महीने की शुरुआत में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज को हराकर कांस्य पदक जीता।

वह भारत के सबसे कम उम्र के ओलंपिक पदक विजेता बने। उन्होंने मैट से उतरने से पहले ही सागर के प्रति आभार व्यक्त किया। 27 वर्षीय सागर हजारों किलोमीटर दूर छत्रसाल स्टेडियम के एक छोटे से कमरे में बैठकर अपने मोबाइल फोन पर अमन के रेपेचेज मुकाबले को देख रहे थे। अमन सहरावत के ओलंपिक मेडल जीतने में उनके दोस्त, मेंटर, मार्गदर्शक सागर का बहुत बड़ा हाथ है। अमन कहते हैं कि सागर जितनी मदद शायद सगा भाई भी नहीं करता। सागर अपने 10 साल पुराने रिश्ते को ‘भगवान की बनाई जोड़ी’ कहते हैं। दोनों की पहली मुलाकात छत्रसाल में हुई थी जब अमन ने छह महीने के भीतर अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था।

मां-पिता को खो दिया
पहले मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहीं मां की मौत हुई। अमन के छत्रसाल से जुड़ने के कुछ हफ्ते बाद उनके पिता का निधन हो गया। 10 साल के अमन प्रसिद्ध अखाड़े में 20 अन्य युवा पहलवानों के साथ एक कमरा शेयर करते थे,जहां प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी होती है। वहां उन्हें छह साल बड़े सागर जैसा मेंटर मिला।

यह एक गहरा रिश्ता है
अमन ने कहा, “छत्रसाल में शुरुआती दिन बहुत मुश्किल भरे थे…जब आप 10 साल के होते हैं और अपने माता-पिता को खो देते हैं…और फिर आप घर से दूर हो जाते हैं। सागर हमेशा से मेरा सहारा रहे हैं। वह मेरी समस्याओं का समाधान करते थं। मेरी कोई भी समस्या होने पर वह कहते थे, ‘मैं उसका ध्यान रखूंगा’। अगर मुझे पैसे की जरूरत होती, चाहे वह मेरे खान-पान के बारे में हो या मेरी तकनीक के बारे में। वह ही थे जिसने मेरी मदद की। भाई से भी बढ़कर। यहां तक ​​कि एक अपना भाई भी भाई के लिए इतना कुछ नहीं कर सकता। यह एक गहरा रिश्ता है।”

सागर ही वह व्यक्ति हैं, जिनके पास अलमारी की उस दराज की चाबियां हैं, जिसमें ओलंपिक कांस्य पदक रखा हुआ है। वरिष्ठ पहलवान ने अमन की देखभाल शुरू कर दी क्योंकि उन्हें लगा कि माता-पिता को खोने के बाद अखाड़े में एक बड़े भाई की ज़रूरत है, किसी ऐसे की जरूरत है, जो उनके लिए पिता जैसा हो। उन्हें यह भी लगा कि अमन बेहद अच्छे इंसान हैं। उन्होंने कहा, “शराफत भी बहुत अच्छा है। आज तक उन्होंने मुझसे एक बार भी झूठ नहीं बोला।”

जब अमन चैंप-डे-मार्स एरिना में पोडियम पर खड़ा था, तो सागर ने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे खुशी का पल था। सागर ने कहा, “जब वह पोडियम पर थे, तो मेरा दिल खुशी और गर्व से भर गया। बेशक, जब उन्होंने कांस्य पदक जीतने के बाद मुझे कॉल किया तो मैंने उनसे पहली बात यही कही कि ‘तुम्हें स्वर्ण पदक जीतना चाहिए था’। लेकिन यह उस क्षण की प्रतिक्रिया थी। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने ओलंपिक पदक जीत लिया है क्योंकि मैं उनके सफर को जानता हूं,” सागर कहते हैं। 57 किग्रा प्रतियोगिता से पहले कई दिनों तक सागर की नींद में खलल पड़ता था। अमन के पहले ओलंपिक के परिणाम के बारे में चिंता में वह बिस्तर पर करवटें बदलता रहते थे। सागर कहते हैं, “उनके पदक जीतने के बाद ही मैं रात को अच्छी नींद ले पाया।”

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