नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास की घोषणा कर दी है। इस खेल में भारत के महान खिलाड़ियों में शुमार छेत्री बचपन में बेहद शरारती थे। उन्हें बचपन में फुटबॉल का शौक नहीं था और एक अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए ही इस खेल को चुना था, लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। आमदनी का जरिया कब उनकी जिंदगी बन गया, यह खुद छेत्री को भी पता नहीं चल सका।
छेत्री के सैनिक पिता खारगा छेत्री हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी बने और वह हासिल कर सके जो वह खुद नहीं कर पाए। दिल्ली में सुनील ने फुटबॉल का ककहरा सीखना शुरू किया और सिटी क्लब से 2001-02 में जुड़े। इसके बाद वह मोहन बागान जैसे दिग्गज फुटबॉल क्लब के साथ 2002 में जुड़ गए। इसके बाद जो हुआ, वह भारतीय फुटबॉल के इतिहास में दर्ज हो चुका है। करीब 20 साल के स्वर्णिम करियर के बाद छेत्री ने अगले महीने कुवैत के खिलाफ विश्व कप क्वालिफाइंग मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहने का फैसला किया है।
उन्होंने 2005 में पाकिस्तान के क्वेटा शहर में पाकिस्तान के खिलाफ मैच से अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में डेब्यू किया। अब जब लगभग दो दशक के करियर के बाद सुनील छेत्री संन्यास ले रहे हैं तो छेत्री सीनियर ने राहत की सांस ली है क्योंकि उनके बेटे ने उनका हर सपने को पूरा कर दिया है। छेत्री मौजूदा समय में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले तीसरे सक्रिय खिलाड़ी हैं। उन्होंने इस मामले में लियोनल मेसी तक को टक्कर दी थी। जब छेत्री और मेसी दोनों के गोल 60 से 80 के बीच थे, तो छेत्री ने कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन मेसी को पीछे छोड़ दिया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में छेत्री के ज्यादा गोल नहीं कर पाने और अर्जेंटीना के फीफा विश्व कप के बाद अन्य दोस्ताना मैच और टूर्नामेंट खेलने से मेसी उनसे काफी आगे हो गए।
करियर के शुरूआती दिनों में उन्हें सलाह देने के लिये भूटिया जैसे दिग्गज थे, लेकिन उनके संन्यास लेने के बाद छेत्री ने अपने दम पर नए मुकाम तय किए। इतने साल में यूं तो कई प्रतिभाशाली फुटबॉलर पैदा हुए, लेकिन कोई दूसरा बाईचुंग भूटिया या सुनील छेत्री नहीं निकला। मैदान पर कई कीर्तिमान रच चुके छेत्री ने भारतीय फुटबॉल महासंघ पर फीफा का निलंबन, उसके पदाधिकारियों और कोचों पर यौन उत्पीड़न के आरोप, भ्रष्टाचार और गुटबाजी सब कुछ देखा है।
भारतीय फुटबॉल में अपना कोई वारिस नहीं देखकर छेत्री अंतरराष्ट्रीय करियर को विस्तार देने के लिए अपने दोस्त विराट कोहली की सलाह पर ‘वीगन’ हो गए। नीली जर्सी और नारंगी आर्मबैंड पहनकर पिछले दो दशक से देश के लिए दनादन गोल करते आ रहे छेत्री ने क्रिकेट के दीवाने देश में फुटबॉल को सुर्खियों में लाने का काम बखूबी किया। यहां तक कि छेत्री के अंदाज और उनकी उपलब्धियों ने विराट कोहली तक को उनका फैन बना दिया। छेत्री और विराट कई बार एकदूसरे के साथ देखे गए। छेत्री के संन्यास की घोषणा के बाद कौन सा खिलाड़ी उनकी जगह लेगा, यह देखने वाली बात होगी।