नई दिल्ली: खेल रत्न अवॉर्ड को लेकर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। पेरिस ओलंपिक डबल मेडलिस्ट मनु भाकर के बाद अब पैरा तीरंदाज हरविंदर सिंह ने भी नाम की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाया है। उन्होंने खेलों में भेदभाव करने का आरोप लगाया है। पैरा तीरंदाज हरविंदर सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी निराशा व्यक्त की।
पेरिस पैरालंपिक में हरविंदर सिंह ने पुरुष सिंगल्स रिकर्व में गोल्ड मेडल जीता था। वह ऐसा करने वाले भारत के पहले तीरंदाज बने थे। भारतीय तीरंदाज हरविंदर सिंह ने मंगलवार को खेल पुरस्कार देने में ‘भेदभाव’ का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल किया कि टोक्यो खेलों की तरह इस साल के खेलों में पदक जीतने वालों को खेल रत्न सम्मान क्यों नहीं दिया जा रहा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टोक्यो खेलों के ब्रॉन्ड मेडलिस्ट विजेता हरविंदर पेरिस खेलों के फाइनल में पोलैंड के लुकास सिसजेक को 6-0 से हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। हरविंदर ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘खेलों में भेदभाव, टोक्यो 2020 पैरालंपिक गोल्ड मेडल विजेताओं को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन पेरिस 2024 पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेताओं का क्या? वही प्रतियोगिता, वही स्वर्ण, वही गौरव – वही पुरस्कार क्यों नहीं ?’’
टोक्यो ओलंपिक के गोल्ड मे़डलिस्ट को दिया गया था खेल रत्न
टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली निशानेबाज अवनि लेखरा, जैवलिन थ्रो खिलाड़ी सुमित अंतिल और बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत को ओलंपिक चैंपियन भाला जैवलिन थ्रो नीरज चोपड़ा के साथ खेल रत्न से सम्मानित किया गया था।