नई दिल्ली: दुबई में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत के विजेता बनने के कुछ समय बाद ही रोहित शर्मा को आश्वासन दिया गया कि वे जून-अगस्त में इंग्लैंड दौरे के लिए टेस्ट कप्तान बने रहेंगे। पसीने से लथपथ टी-शर्ट अभी सूखी भी नहीं थी और कुछ ही महीनों में दूसरे आईसीसी कप जीतने की भावनाएं अभी शांत भी नहीं हुई थीं, तभी रोहित को महत्वपूर्ण विश्वास मत मिला।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह भारतीय क्रिकेट के नेतृत्व को लेकर नवीनतम अटकलें समाप्त हो गईं, जो एक महीने पहले बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान चरम पर थीं। इससे यह भी सुनिश्चित हो गया कि इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (IPL 2025) बगैर किसी विवाद शांति से गुजरेगा। सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कब रोहित शर्मा को भारत का कप्तान बनाए रखने का फैसला लिया गया?
स्पिनर्स का बेहतरीन इस्तेमाल
क्या यह तब हुआ जब रोहित शर्मा अपने पुराने अंदाज में डाउन द ट्रैड आकर न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को मैदान से बाहर मार रहे थे? ऐसा उन्होंने पिछले दो आईसीसी टूर्नामेंट में भी किया था। या ऐसा हुआ तब जब वह अपने स्पिनर्स का बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे थे, जाल बिछा रहे थे, विपक्षी टीम को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहे थे? मामले की जानकारी रखने वाले कहते हैं कि बाद वाली वजह के कारण ऐसा हुआ।
आधुनिक समय के क्रिकेट कप्तानों में यह एक दुर्लभ गुण
ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत के पास ओपनिंग बैटिंग के कई विकल्प यशस्वी जायसवाल, अभिषेक शर्मा, शुभमन गिल, संजू सैमसन और केएल राहुल हैं, लेकिन किसी के पास भी कप्तान रोहित की तर रणनीतिक सूझबूझ नहीं है। उनके पास धैर्य है। आधुनिक समय के क्रिकेट कप्तानों में यह एक दुर्लभ गुण है। टेस्ट क्रिकेट में मुश्किल समय में वेटिंग गेम खेलने की कला है।
कप्तान ऐसा होना चाहिए जो दृढ़ विश्वास रखे
इंग्लैंड में कप्तानों को दृढ़ निश्चयी होने की जरूरत है। कप्तान ऐसा होना चाहिए जो दृढ़ विश्वास रखे, जो अपने खिलाड़ियों को तब भी जान झोंकने के लिए मना सकें जब कुछ भी उनके पक्ष में न जा रहा हो। आम धारणा के विपरीत इंग्लैंड में सिर्फ स्विंग गेंदबाजी नहीं चलती, जिसके ढेरों विकेट गिरते रहते हैं। यहां बल्लेबाज शुरुआती मुश्किल स्पेल से निपटने के बाद लंबी साझेदारी करते हैं।
खेल को हाथ से निकलने नहीं दे सकते
डैडी हंड्रेड्स (बड़ी शतकीय पारी) का मुहावरा इंग्लैंड में दिग्गज बल्लेबाज ग्राहम गूच ने गढ़ा था। वे अपने खेल के दिनों में डैडी हंड्रेड्स के जनक थे। जब वे इंग्लैंड के बल्लेबाजी कोच बने तो उनके कप्तान एलेस्टेयर कुक ने कमान संभाली और रन-मैराथन शुरू हुआ। दुर्भाग्य से, भारत को दोनों के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। एक और अंग्रेजी कहावत है, जो विभिन्न देशों में क्रिकेट की कहानी के बारे में बताती है। आप बस के लिए बहुत लंबा इंतजार करते हैं और फिर एक साथ दो या उससे ज्यादा बसें आ जाती हैं। विकेट कई बार गुच्छों में आते हैं, लेकिन तभी जब कप्तान उनके लिए अथक प्रयास करने को तैयार हों। वे खेल के हाथ से निकलने नहीं दे सकते।
कठिन दौर में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी विफल
कठिन दौर में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी विफल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने हार मान ली और इसकी कीमत चुकाई। व्हाइट बॉल क्रिकेट में दिग्गज कप्तान एमएस धोनी भी इंग्लैंड में टेस्ट मैचों में अक्सर बेबस नजर आते थे। इंग्लैंड में उनकी कप्तानी में भारत को 15 टेस्ट में 13 में हार का सामना करना पड़ा।
इंग्लैंड में अत्यधिक आक्रामकता भी काम नहीं आती
2011 की सीरीज में भारत ने सभी चार टेस्ट गंवा दिए थे। इस दौरान टीम के एक अधिकारी ने बताया कि जब टीम बल्लेबाजी कर रही होती थी तो धोनी झपकी ले लेते थे। मैदान पर भी जब टेस्ट उनके हाथ से फिसलने लगता था तो वह कुछ खास नहीं करते थे। इंग्लैंड में अत्यधिक आक्रामकता भी काम नहीं आती। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोहली के नेतृत्व में भारत 2018 में 1-4 से हार गया। हालांकि, कम आक्रामक दृष्टिकोण ने कोहली के नेतृत्व में 2-1 की बढ़त हासिल की, लेकिन इंग्लैंड ने एक साल बाद स्थगित टेस्ट जीतकर सीरीज बराबर कर ली, तब कप्तान रोहित थे। हालांकि, उस मैच में जसप्रीत बुमराह ने कमान संभाली।
भारतीय टीम 2007 में जीती थी सीरीज
इंग्लैंड में पिछली बार भारतीय टीम 2007 में सीरीज जीती थी। राहुल द्रविड़ के नेतृत्व कप्तान थे। द वॉल कहे जाने वाले क्रिकेटर की दृढ़ता के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है। यह वह टीम थी, जिसमें भारत के दिग्गज टेस्ट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले,वीवीएस लक्ष्मण और ज़हीर खान थे। बाद में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में जीत हासिल की, लेकिन इंग्लैंड डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक अजेय रहा। रोहित के पास भी टेस्ट के पेशेवर खिलाड़ी विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह, रविंद्र जडेजा और केएल राहुल हैं।
इंग्लैंड अभी भी भारत में 2024 की हार के सदमे को झेल रहा है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार द्रविड़ की तरह रोहित भी जब कप्तानी करते हैं तो उनके चेहरे पर चिंता के भाव दिखते हैं। वे भी एक परेशान परिवार के मुखिया की तरह दिखते हैं, जो निर्णय लेने और अपनी टीम की भलाई के बोझ तले दबे रहते हैं। द्रविड़ के मुकाबले रोहित बेहतर मैन मैनेजर हैं। इंग्लैंड अभी भी भारत में 2024 की हार के सदमे को झेल रहा है। वह टेस्ट में बैजबॉल खेले या नहीं इसे लेकर उलझन में है। ऐसे में भारत के पास बढ़त होने की उम्मीद की जा सकती है।
वे बल्लेबाज के दिमाग को पढ़ते हैं
बुमराह बेहद ही शानदार कप्तानी विकल्प हैं। अपने प्रदर्शन के दम पर वह एक सक्षम कप्तान हैं, जो कप्तान के तौर पर उदाहरण पेश करते हैं। बुमराह एक विचारशील खिलाड़ी भी हैं। वे बल्लेबाज के दिमाग को पढ़ते हैं। उनके शॉट्स का अनुमान लगाना उनका दूसरा स्वभाव बन गया है।
मिल गया है रोहित को विस्तार
बुमराह का भी समय आएगा क्योंकि रोहित को विस्तार मिल गया है। रोहित ने मैदान पर अधिक समय बिताया है, कई टीमों को मुश्किलों से बाहर निकाला है। छह बार आईपीएल जीतना, बैजबॉल को धूल चटाना और 2 आईसीसी खिताब न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट हार के बाद भी कप्तान बने रहने ऐसे साख की जरूरत है।
रोहित पर कुछ खास दबाव नहीं
टीम इंडिया के दबाव की तुलना में आईपीएल में रोहित पर कुछ खास दबाव नहीं होगा। मुंबई इंडियंस में दबाव हार्दिक पर होगा। 2024 के भूलने लायक प्रदर्शन के बाद उन्हें खुद को साबित करने की जरूरत है। इस बीच रोहित ने अपनी लय फिर से हासिल कर ली है। वह फिर से लाइन के अंदर आ रहा है और पेसर्स को स्क्वायर लेग बाउंड्री के ऊपर से फ्लिक कर रहे हैं। वह डाउन द विकेट आकर मिड-विकेट के ऊपर से बेहतर शॉट खेल रहे हैं।
यह एक छोटा सा चरण है
रोहित के पास फिर से वही बेफिक्र बच्चा बनने का मौका है, जैसा नह डेक्कन चार्जर्स के लिए थे। यह एक छोटा सा चरण है, जिसमें अपने आस-पास के लोगों के बारे में नहीं सोचना है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्हें जब तक यह चलता है उसका आनंद लेने की जरूरत है, क्योंकि इंग्लैंड में उन्हें फिर से परिवार के मुखिया की तरह निर्णय लेने और अपनी टीम की भलाई के बोझ तले दबना होगा।