नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेता भारतीय पुरुष पहलवान बजरंग पूनिया ने निलंबित होने के बाद डोप टेस्ट के लिए सैंपल नहीं देने के आरोपों पर आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है। बजरंग ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया और दावा करते हुए कहा कि उन्होंने मार्च में सोनीपत में चयन ट्रायल के दौरान मूत्र का नमूना देने से इसलिए इनकार किया क्योंकि डोप नियंत्रण अधिकारी इस बात का पर्याप्त सबूत देने में विफल रहे कि वे जांच करने के लिए उचित उपकरण लाए हैं या नहीं।
बजरंग को किया गया था निलंबित
बजरंग को 18 अप्रैल को अपनी जगह बताने में विफल होने का नोटिस जारी करने के बाद राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने 23 अप्रैल को निलंबित कर दिया था। गुरुवार को नाडा के उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित किए जाने के बाद कुश्ती की विश्व संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भी बजरंग को इस साल के अंत तक के लिए निलंबित कर दिया था।
पूनिया ने कहा कि उन्होंने 10 मार्च को डोप नियंत्रण अधिकारी से पिछली दो चूक के संबंध में जवाब मांगा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने कहा, मैंने अधिकारियों से जवाब मांगा था क्योंकि नाडा ने मेरे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया जिसमें मैंने इसके बारे में स्पष्टीकरण देने मांग थी और सूचित किया था कि मैं इसका स्पष्टीकरण मिलने के बाद ही अपना नमूना दूंगा। डोपिंग नियंत्रण अधिकारियों ने न सिर्फ स्पष्टीकरण देने से इनकार किया बल्कि उन्होंने कोई भी सबूत देने से इनकार कर दिया कि वे इस बार उचित उपकरण लेकर आए हैं या नहीं। वे उस स्थल से चले गए जहां मैं मौजूद था और उन्होंने दावा किया कि मैंने नमूना देने से इनकार कर दिया है। मैं करीब एक घंटे बाद स्थल से निकला जबकि ऐसा दिखाया जा रहा है कि मैं तुरंत ही वहां से चला गया था।