नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद सुशील कुमार का सीना उस समय गर्व से चौड़ा हो गया होगा जब उन्हें खबर मिली होगी कि उनके शिष्य अमन सेहरावत ने पेरिस ओलंपिक में देश के लिए कांसा जीत लिया है। अमन ने महज 21 साल की उम्र में देश के लिए पेरिस ओलंपिक में रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। भारतीय दल में मौजूद एक इकलौते पुरुष रेसलर ने इतिहास रच दिया। अपने गुरु सुशील कुमार की तरह अमन सेहरावत ने भी अपने पहले ओलंपिक में ही पदक जीत कर इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले सबसे युवा भारतीय बन गए। अमन सेहरावत सुशील कुमार से भी दो कदम आगे निकल गए।
दरअसल अमन पेरिस ओलंपिक में शान से सेमीफाइनल पहुंचे थे। उन्होंने अपने सभी मैच तकनीकी दक्षता के आधार पर जीते थे। अमन ने प्री क्वार्टर फाइनल में पूर्व यूरोपीयन चैंपियन नॉर्थ मासेडोनिया के व्लादिमिर इगोरोव को 10-0 से हार मिली। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में अल्बेनिया के जेलीमखान अबाकारोव को 12-0 से पटखनी दी। हालांकि, सेमीफाइनल में उन्हें जापानी पहलवान के खिलाफ हार झेलनी पड़ी, लेकिन ब्रॉन्ज मेडल मैच में उन्होंने प्यूर्टो रिको के पहलवान को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। बात यदि सुशील कुमार की करें तो उन्होंने बीजिंग ओलंपिक 2008 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। हालांकि सुशील कुमार तब पहले ही राउंड (प्री क्वार्टर फाइनल) में हार गए थे लेकिन जिस पहलवान से बहरे थे वह फाइनल में पहुंच गया और सुशील कुमार को रेपेचेज में ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका मिला। उनके शिष्य अमन उनसे दो कदम आगे निकले।
अमन सहरावत ने अपने करियर में सुशील कुमार की अहमियत पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘एशियाई क्वालिफायर के बाद मैं थोड़ा दबाव में था, क्योंकि मैं बिना कोटा के लौटा था और मुझसे उम्मीदें थीं। मेरे मन में कुछ संदेह थे। तभी मैंने सुशील पहलवान जी से बात की। विश्व क्वालिफायर में करीब तीन हफ्ते बचे थे और मैं यहां छत्रसाल में प्रशिक्षण ले रहा था। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बहुत रक्षात्मक न बनूं और मेरा लक्ष्य पूरे छह मिनट तक लड़ना है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे दो विचारों में नहीं रहना चाहिए। अगर आपको बचाव करने के लिए मजबूर किया जाता है तो बचाव करें लेकिन फिर पहले अवसर का इंतजार करें और फिर पूरी ताकत से हमला करें। उन्होंने मुझसे कहा कि अनिर्णायक न बनूं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं आक्रामक पहलवान बना रहूं।’