नई दिल्ली: भारतीय टीम बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में बढ़त हासिल करने के इरादे से मेलबर्न टेस्ट मुकाबले में उतरेगी। ऑस्ट्रेलिया की नजर भी लीड हासिल करने पर होगी। मेलबर्न को ऑस्ट्रेलिया में भारत का घरेलू मैदान कहा जाता है और उस्मान ख्वाजा भी यह मान चुके हैं। ब्रिस्बेन टेस्ट में बारिश का खलल देखने को मिला था और मेलबर्न का हाल भी कुछ ऐसा ही है।
मेलबर्न टेस्ट में बारिश का असर देखने को मिल सकता है। एक्यू वेदर के मुताबिक टेस्ट के पहले दिन 50 प्रतिशत बारिश के आसार हैं। दूसरे दिन की शुरुआत में भी 50 प्रतिशत आसार हैं। तीसरे दिन से स्थिति सुधरेगी। 28 दिसंबर को बारिश के आसार 30 प्रतिशत हैं। आखिरी दो दिन बारिश की उम्मीद कम होगी। यानी मैच के पहले तीन फैंस को बारिश के कारण एक्शन में खलल देखने को मिल सकता है।
मेलबर्न में पिछले कुछ सालों से पिच बदली है। यहां अब आमतौर पर तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है। यहां पिछले छह सीजन में गेंदबाजी औसत 15 रन ड्रॉप हुआ है। पिच क्यूरेटर ने भी यही बात प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामने रखी थी। मैट पेज ने कहा था कि मेलबर्न में बीते कुछ सालों की तरह ही पिच होगी। गेंद और बल्ले में बराबर की जंग देखने को मिलेगी। पिच पर घास होने से तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी। गेंद पुरानी होने पर बल्लेबाज आसानी से रन बना पाएंगे। स्पिनर्स को फायदा नहीं मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘यदि आप पिछले चार या पांच वर्षों में हमारे लंबे प्रारूप के मैचों को देखें, तो वे स्पिन की तुलना में सीम-अनुकूल अधिक रहे हैं। इसलिए मुझे यहां कोई बदलाव नहीं दिखता। हमने गेंदों की वजह से अपनी पिचों में कोई बदलाव नहीं किया है।’ साल 2018-19 के बीच इस ग्राउंड पर टॉस की ज्यादा भूमिका नहीं रही है। यहां खेले गए छह टेस्ट मैचों में तीन बार पहले बल्लेबाजी करने वाली वहीं तीन पर बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती है। भारत इस मैदान पर पिछले दो टेस्ट मैच जीता है। मेलबर्न में जो 14 टेस्ट मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गए हैं उसमें भारत केवल 4 जीते है।