नई दिल्ली: दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने हाल ही में दोहा डायमंड लीग में 90.23 मीटर की थ्रो के साथ 90 मीटर की बाधा को पार कर लिया। यह उपलब्धि भारतीय जेवलिन थ्रो के लिए ऐतिहासिक है। नीरज के नए कोच, चेक गणराज्य के दिग्गज जैन जेलेनी के मार्गदर्शन में यह उपलब्धि हासिल हुई, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में नीरज के साथ प्रशिक्षण शुरू किया। जेलेनी की स्मार्ट ट्रेनिंग और बारीक तकनीकी समायोजन ने नीरज को इस मुकाम तक पहुंचाया।
नीरज के पूर्व कोच और बायोमेकेनिक्स विशेषज्ञ डॉ. क्लाउस बार्टोनिएट्ज़, जिन्होंने 2019 से 2023 तक नीरज के साथ काम किया उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से से एक चर्चा में बताया कि नीरज हमेशा से 90 मीटर के करीब थे। बार्टोनिएट्ज़ ने नीरज की ताकत, फिटनेस और तकनीक पर काम किया, जिससे वह दो ओलंपिक और दो विश्व चैंपियनशिप पदक जीत सके। उन्होंने बताया कि नीरज की सबसे बड़ी चुनौती सही प्रशिक्षण संतुलन ढूंढना थी। उनकी शैली को समझकर, बार्टोनिएट्ज़ ने उनकी तकनीक और शारीरिक क्षमता को निखारा।
2019 में चोट के बाद नीरज की वापसी आसान नहीं थी। कोविड-19 के कारण टोक्यो ओलंपिक स्थगित होने से उनकी प्रेरणा को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। बार्टोनिएट्ज़ ने न केवल कोच की भूमिका निभाई, बल्कि नीरज के मार्गदर्शक और प्रेरक भी बने। अब जेलेनी के साथ नीरज का प्रशिक्षण और भी सटीक हो गया है। उनकी थ्रो में रन-अप, थ्रोइंग और लैंडिंग की बारीकियों पर ध्यान दिया गया। 90 मीटर की उपलब्धि के बाद बार्टोनिएट्ज को भरोसा है कि नीरज अब 92, 93 या 94 मीटर तक थ्रो फेंक सकते हैं। नीरज की मेहनत और जेलेनी की कोचिंग और उनकी चोट से उबरने की क्षमता उन्हें एक सच्चा चैंपियन बनाती है।